इंदिरा सागर (पोलावरम) परियोजना, आन्ध्र प्रदेश
पोलावरम संबंधी पृष्ठभूमि (अंतरराज्जीय समझौता)
गोदावरी जल विवाद अधिकरण (जीडब्लूडीटी) की सिफारिशों के एक भाग के रूप में गोदावरी नदी पर एक अंतरराज्जीय परियोजना इंदिरा सागर पोलावरम की संकल्पना की गयी है। जीडब्लूडीटीने इस पंचाट को 1980 में अंतिम रूप दिया। इस पंचाट में उन परियोजनाओं की पहचान की जाती है जिन्हें मुख्य गोदावरी नदी और इसकी सहायक नदियों पर सह बेसिन राज्यों महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश (छत्तीसगढ़ सहित), उड़ीसा, कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश (आन्ध्र प्रदेश) द्वारा किया जा सकता है। इस पंचाट के एक भाग के रूप में आन्ध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उड़ीसा राज्यों ने दिनांक 02.04.1980 को एक समझौता किया ताकि आन्ध्र प्रदेश द्वारा शुरू की जाने वाली पोलावारम परियोजना को अनुमति प्रदान किया जा सके। इस समझौते में इस परियोजना के निर्माण की व्यवस्था है जिसमें 150 फीट तक पूर्ण जलाशय स्तर और 140 फीट के तालाब स्तर पर 36 लाख क्यूसेक की स्पीलवे डिस्चार्ज क्षमता जो 130 फीट के तालाब स्तर में 20 लाख क्यूसेक से कम न हो, की व्यवस्था है। उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में 150 फीट के स्तर से अधिक भूमि और सम्पत्ति की रक्षा करने के लिए इसी परियोजना की लागत पर पर्याप्त जलप्रवाह के साथ रक्षात्मक बांध का प्रावधान किया गया है। इस समझौते के संगत प्रावधान को नीचे दिया गया है।
“पोलावरम परियोजना अधिप्लव मार्ग को 140 फीट के तालाब स्तर पर 36 लाख क्यूसेक और 130 फीट के तालाब स्तर पर 20 लाख क्यूसेक की बाढ़ प्रवाह क्षमता के लिए डिजाइन किया जाएगा।
उड़ीसा में पोलावरम परियोजना के निर्माण कारण प्रभावित होने वाले क्षेत्र में 150 फीट से उपर की जमीन और संपत्ति की रक्षा करने के लिए पर्याप्त जल प्रवाह के साथ रक्षात्मक बांध का निर्माण किया जाएगा और इसकी मरम्मत पोलावरम परियोजना की लागत से की जाएगी। तथापि, उड़ीसा राज्य मध्य प्रदेश (अब छत्तीसगढ़) राज्य के मामले में यथा सहमत 150 फीट से अधिक प्रभावित होने वाली जमीन और संपत्तिके लिए मुआवजा हेतु पोलावरम परियोजना के निर्माण के समय किसी विकल्प को चुन सकता है।
मध्य प्रदेश (अब छत्तीसगढ़) क्षेत्र में 150 फीट से अधिक उंची जमीन को होने वाले नुकसान के लिए किसी भी स्थिति में आन्ध्र प्रदेश राज्य मध्य प्रदेश (अब छत्तीसगढ़) राज्य के उक्त जिले के समाहर्ता द्वारा किए गए आकलन के अनुसार ऐसी हानि के लिए पूर्ण मुआवजा प्रदान करेगा।
इस बांध के डिजाइन और इसके परिचालन अनुसूची का मामला केन्द्रीय जल आयोग पर छोड़ दिया जाएगा जो यथा संभव व्यवहार्य रूप से 2 अप्रैल, 1980 को दर्ज समझौते सहित विभिन्न पक्षों के बीच सभी समझौतों के मद्देनजर निर्णय करेगा।”
संक्षेप में परियोजना
इंदिरा सागर (पोलावरम) परियोजना आन्ध्र प्रदेश में पश्चिमी गोदावरी जिले के पोलावरम मंडल के रम्मय्यापेट के निकट गोदावरीनदी पर स्थित है। यह परियोजना आन्ध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी, विशाखापत्तनम, पश्चिमी गोदावरी और कृष्णा जिलों में सिंचाई, जल विद्युत विकसित करने और पेयजल सुविधाएं प्रदान करने के लिए गोदावरी नदी पर बहुउद्देश्यीय प्रमुख टर्मिनल जलाशय परियोजना है। इस परियोजना से 2.91 लाख हेक्टेयर (सीसीए) को सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी और 960 मेगावाट की स्थापित क्षमता होगी और विशाखापत्तनम शहर और इस्पात संयंत्र में पेयजल और औद्योगिक जल आपूर्ति 23.44 टीएमसी (663.7 एमसीएम) और कृष्णा नदी को 80 टीएमसी जल विपथन होगा।इस परियोजना की अनंतिम सिंचाई क्षमता 4.368 लाख हेक्टेयर होगी और वार्षिक ऊर्जा उत्पादन 2369.43 मिलियन यूनिट होगी।इसके अतिरिक्त, 540 गांवों को कमान क्षेत्र में पेयजल सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
इस परियोजना में नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना के अंतर्गत गोदावारी- कृष्णा को जोड़ने को कार्यान्वित किया जाएगा। इस परियोजना में कृष्णा नदी को गोदावरी नदी के अधिशेष जल के 80 टीएमसी भाग को अंतरित करने का उल्लेख है जिसे जीडब्लूडीटी पंचाट के निर्णय के अनुसार आन्ध्र प्रदेश द्वारा45 टीएमसी और कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्यों द्वारा 35 टीएमसी के अनुपात में आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच बंटवारा होगा।
मूल्यांकन की स्थिति
इंदिरा सागर (पोलावरम) परियोजना के परियोजना प्रस्ताव पर दिनांक 20.1.2009 को हुई बैठक में जल संसाधन मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति द्वारा एसओआर 2005-06 पर 10151.04 करोड़ रूपए के लिए विचार किया गया और स्वीकार किया गया।
दिनांक 25 फरवरी, 2009 के योजना आयोग के पत्र संख्या 2(168)/2004- डब्लूआर के अंतर्गत निवेश की अनुमति प्रदान की गयी और स्वीकार किया गया।
बाद में, परियोजना प्राधिकरण ने दिनांक 30.08.2010 को पोलावरम परियोजना के संशोधित लागत अनुमान को सौंपा है। इसे एसओआर 2010-11 के 16010.45 करोड़ रूपए के संशोधित लागत के लिए जांच की गयी और अंतिम रूप प्रदान किया गया। दिनांक 04.01.2011 को हुई जल संसाधन मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति की 108वीं में 16010.45 करोड़ रूपए की पोलावरम परियोजना की संशोधित लागत अनुमान को स्वीकार कर लिया गया। योजना आयोग से निवेश अनुमति की प्रतीक्षा है। योजना आयोग ने दिनांक 20.6.2012 के अपने पत्र संख्या 25(11)/एनपी/एस/2009-डब्लूआर के तहत प्रधान मंत्री कार्यालय के निदेशक को संबोधित कर सूचित किया है कि योजना आयोग ने किसी भी कार्रवाई को करने से पूर्व इस परियोजना के विरूद्ध उड़ीसा सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में दायर मामले के आदेशों की प्रतीक्षा करने का निर्णय लिया है क्योंकि यह मामला न्याय निर्णयाधीन है।
वैकल्पिक अभिकल्प प्रस्ताव
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्य अभियंता और यूएन के परामर्शदाता श्री टी. हनुमंत राव द्वारा तैयार गोदावरी नदी पर बांध श्रृंखला बनाने का प्रस्ताव दिसम्बर, 2009 में माननीय संसद सदस्य श्री पी. गोवर्धन रेड्डी द्वारा जल संसाधन मंत्रालय को प्राप्त हुआ। इस नदी पर एक के उपर एक बांधों की श्रृंखला को लेखक द्वारा ‘सीढ़ी प्रौद्योगिकी’ कहा गया है। इस प्रस्ताव को जांच के लिए सीडब्लूसी को भेजा गया था। इसकी जांच की गयी और सीडब्लूसी की मुख्य टिप्पणी निम्नवत् है।
नदी में जल की उपलब्धता होने के दौरान सीमित भंडारण प्रदान करने के लिए बांधों का विपथन ढ़ांचा है।
बांध गैर मानसून अवधि के दौरान निर्भर योग्य विद्युत उत्पादन, जल विपथन और शहर को पेयजल की आपूर्ति करने जैसे अन्य उद्देश्यों और रबी फसल की सिंचाई के लिए जल की आवश्यकता को पूरी तरह से पूरा नहीं कर सकता है।
विद्यमान लिफ्ट योजनाओं के अंतर्गत कमान क्षेत्र केवल खरीफ में सिंचाई मिल रही है। रबी और स्थायी फसलों को सिंचाई प्रदान करने के लिए आन्ध्र प्रदेश राज्य सरकार ने पोलावरम परियोजना को शुरू किया है।
न्यायिक मामले
उड़ीसा सरकार ने माननीय उच्चतम न्यायालय में जल संसाधन मंत्रालय सहित विभिन्न केन्द्रीय एजेन्सियों द्वारा प्रदत्त अनुमति और आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा पोलावरम परियोजना के निर्माण में आगे बढ़ने के विरूद्व 2007 के मूल वाद और विभिन्न वार्ता संबंधी आवेदन (आईए) दायर किया है और इसमें प्रतिवादी संख्या 1 आंध्र प्रदेश सरकार, प्रतिवादी संख्या 2 जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार, प्रतिवादी संख्या 3 पर्यावरण और वन मंत्रालय और प्रतिवादी संख्या 4 जनजातीय कार्य मंत्रालय है। अब तक माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा पोलावरम परियोजना के निर्माण के विरूद्ध अथवा इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किए जाने के विरूद्ध कोई निर्णय या स्थगन आदेश नहीं दिया गया है।
माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देश
माननीय उच्चतम न्यायालय ने दिनांक 11.4.2011 के अपने आदेश के अंतर्गत केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्लूसी) के सेवानिवृत्त सदस्य श्री एम. गोपालकृष्णन को नामित किया जिन्होंने सीडब्लूसी के सदस्यों के साथ पोलावरम बांध की जांच की और माननीय उच्चतम न्यायालय को अलग से एक रिपोर्ट सौंप दी ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या पोलावरम बांध का निर्माण कार्य जीडब्लूडीटी पंचाट के अनुसार किया गया है।
श्री एम. गोपालकृष्णन और सीडब्लूसी के सदस्यों ने 23-24, मई 2011 के दौरान पोलावरम बांध का दौरा किया और दिनांक 14.6.2011 को अलग से अपनी रिपोर्ट माननीय उच्चतम न्यायालय को सौंपा।
श्री एम. गोपालकृष्णन और सीडब्लूसी के सदस्यों ने 23-24, मई 2011 के दौरान पोलावरम बांध का दौरा किया और दिनांक 14.6.2011 को अलग से अपनी रिपोर्ट माननीय उच्चतम न्यायालय को सौंपा।
श्री एम. गोपालकृष्णन और सीडब्लूसी के सदस्यों की दोनों रिपोर्टों में यह निष्कर्ष निकाला गया कि इस दल द्वारा अब तक बनायी गयी पोलावरम परियोजना की योजना और किए गए सीमित निर्माण क्रियाकलाप अनुमोदित परियोजना और जीडब्लूडीटी प्रावधानों के अनुसार है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने जल संसाधन मंत्रालय सहित विभिन्न केन्द्रीय एजेन्सियों द्वारा दी गई अनुमति और आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा पोलावरम परियोजना के निर्माण के विरूद्ध उच्चतम न्यायालय में आईए सहित 2011 के मूल वाद संख्या 3 दायर किया है और इसमें प्रतिवादी संख्या 1 आंध्र प्रदेश, प्रतिवादी संख्या 2(क) जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार , प्रतिवादी संख्या 2(ख) पर्यावरण और वन मंत्रालय , प्रतिवादी संख्या 2(ग) जनजातीय कार्य मंत्रालय और प्रतिवादी संख्या संख्या 3 केन्द्रीय जल आयोग को बनाया गया है।
पोलावरम को राष्ट्रीय परियोजना के रूप में शामिल करना
राज्य सरकार ने भारत सरकार के जल संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय परियोजनाओं हेतु दिशानिर्देशों के अनुसार अप्रैल, 2009 में राष्ट्रीय परियोजना के रूप में इस परियोजना को शामिल करने के लिए प्रस्ताव सौंपा था। अगस्त, 2009 में राष्ट्रीय परियोजना के रूप में शामिल करने के लिए उच्च अधिकार प्राप्त संचालन समिति द्वारा परियोजना की सिफारिश की गयी थी। दिनांक 5.3.2010 को हुई ईएफसी की बैठक में ईएफसी ज्ञापन पर चर्चा की गयी और यह निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार इस परियोजना के वास्तविक लागत और कार्यान्वयन कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करे। इस परियोजना की लागत को 2010-11 के लागत स्तर पर अद्यतन कर 16010. 45 करोड़ रूपए कर दिया गया है। जल संसाधन मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति की दिनांक 4.1.2011 को हुई 108वीं बैठक में इस परियोजना की संशोधित लाग 16010.45 करोड़ रूपए (मूल्य स्तर 2010-11) को स्वीकार कर लिया गया है। इस संशोधित लागत के लिए योजना आयोग से निवेश संबंधी अनुमति की प्रतीक्षा की जा रही है।
पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा कार्य रोको संबंधी आदेश
पर्यावरण और वन मंत्रालय (एमओईएफ) ने आन्ध्र प्रदेश में इंदिरा सागर पोलावरम बहुउद्देशीय परियोजना के लिए जन सुनवाई करने की मांग के संबंध में 12 अगस्त, 2011 को राज्य सभा के संसद सदस्य डॉ. के. वी.पी रामचन्द्र द्वारा विशेष उल्लेख को उत्तर देते हुए निम्नवत् टिप्पणी की:
“आन्ध्र प्रदेश सरकार ने अब तक उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में कोई अपेक्षित जन सुनवाई नहीं की है। इस पर्यावरण संबंधी शर्त की अनुपालना नहीं होने के कारण एमओईएफ ने 8 फरवरी, 2011 को इस परियोजना के लिए कार्य रोको आदेश जारी कर दिया है। चूंकि दोनों ही राज्यों में जन सुनवाई अभी भी लंबित हैं, इसलिए इस परियोजना के लिए कार्य अवरूद्ध आदेश जारी है। इस संबंध में अंतिम निर्णय माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशों के बाद ही लिया जाएगा।”
आन्ध्र प्रदेश सरकार ने दिनांक 8.4.2013 के अपने पत्र संख्या 14/आईएसपीपी/2013 के तहत सूचित किया है कि आन्ध्र प्रदेश के अभ्यावेदन पर एमओईएफ ने छह महीने की अवधि के लिए इस कार्य अवरूद्ध आदेश को स्थगित रखने का निर्णय लिया है जिसके दौरान सुरक्षा बांध के लिए उड़ीसा और छत्तीसगढ़ राज्येां में जन सुनवाई करने के लिए प्रयास किए जाएंगे।