नदी प्रबंधन कार्यकलाप और सीमावर्ती क्षेत्रों से संबंधित निर्माण
भारत में 12 प्रमुख नदी प्रणालियां हैं जिनमें से तीन प्रमुख नदी प्रणालियां नामत: गंगा ब्रह्मपुत्र और सिंधूका पडोसी देशों अर्थात नेपाल, भूटान, चीन, बंग्लादेश और पाकिस्तान से सहभाजन किया जाता है। ये तीन नदी प्रणालियां अकेली ही भारत में भौगोलिक क्षेत्र के कुल 42 प्रतिशत में बहती हैं और देश में कुल जल का 60 प्रतिशत योगदान करती है।
XI वीं योजना के दौरान,पंचेश्वर बहुप्रयोजनीय परियोजना, सप्त कोसी उच्च बांध और सौर कोसी भण्डार सह विचलन स्कीम हेतुसर्वेक्षण।जांच और विस्तृत परियोजना रिपोर्टतैयार करना, कोसी व गंडक नदियों के बाढ़ नियंत्रण कार्यों का अनुरक्षण, लालबकेया, कमला,बागमति और खांडो नदियों पर तटबंधों का विस्तार, भारत और नेपाल की सहाधिकार नदियों पर बाढ़ पूर्वानुमान, भूटान से निकलने वाली नदियों पर जल-विज्ञान संबंधी पर्यवेक्षण, बंग्लादेश और पड़ोसी देशों की सहाधिकार नदियों पर संयुक्त पर्यवेक्षण, ब्रह्मपुत्र बोर्ड को अनुदान-सहायता, असम में मजूली द्वीप की योजनाओं, देबांग परियोजना आदि, बंग्लादेश के साथ सहाधिकार/सीमावर्ती नदियों पर बाढ़ संरक्षण/कटाव निरोधी और विकास कार्य (पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा की राज्य सरकारों द्वारा किए जाने हैं), पाकिस्तान को बहने वाली सीमावर्ती नदियों पर संरक्षण कार्य,राप्ती नदी पर नऊमरे एचई परियोजना (नेपाल) की फील्ड जांच हेतु प्रावधान और भारत की ओर पहुंच सड़क, परियोजना पुल, आवासीय क्वार्टर के निर्माण-पूर्व कार्यकलाप और निर्माण-पूर्व सर्वेक्षण से संबंधित कार्यकलापों के वित्त-पोषण के समान उद्देश्य वाली छोटी स्कीमों को एकीकृत करने के बाद जल संसाधन मंत्रालय ने ‘’सीमावर्ती क्षेत्रों से संबंधित नदी प्रबंधन कार्यकलाप और निर्माण’’ नामक केंद्रीय क्षेत्र स्कीम बनाई।
आर्थिक मामलों पर केबीनेट समिति ने 4दिसंबर, 2008 को हुई अपनी बैठक में रुपये 601 करोड़ की कुल लागत पर स्कीम का अनुमोदन किया जिसे बाद में नेपाल में टूटे कोसी तटबंध के पुननिर्माण, बंग्लादेश के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर लगभग 20 कि.मी. लम्बाई हेतु इच्छामती नदी की गाद को हटाने और ब्रह्मपुत्र बोर्ड द्वारा निष्पादित दिबांग और लोहित नदियों की बहाली के तात्कालिक कार्यों के लिए निधियां प्रदान करने हेतु रुपये 820.00 करोड़ तक संशोधित किया गया।
XII वीं योजना के दौरान, केंद्रीय क्षेत्र स्कीम नामत: सीमावर्ती क्षेत्रों से संबंधित नदी प्रबंधन कार्यकलाप और निर्माण के लिए निम्नालिखित प्रमुख कारकों को शामिल करने हेतु रुपये 740 करोड़ की कुल लागत पर 23 दिसंबर, 2014 को प्रशासनिक अनुमोदन प्रदान किया गया:-
- पड़ोसी देशों के साथ सहाधिकार सीमावर्ती नदियों पर जल-विज्ञानी पर्यवेक्षण और बाढ़ पूर्वानुमान करना।
- पडोसी देशों में डब्ल्यूआर परियोजनाओं की जांच
- सहाधिकार सीमावर्ती नदियों-पंचेश्वर विकास प्राधिकरण पर डब्ल्यूआर परियोजनाओंहेतु निर्माण-पूर्व कार्यकलाप
- बाढ़ प्रबंधन/समुद्र कटाव रोधी कार्यों के लिए राज्यों/संघ प्रदेशों को अनुदान-सहायता:-
- कोसी और गंडक परियोजनाओं (नेपाल में) के बाढ़ संरक्षण कार्यों का अनुरक्षण, राज्यों द्वारा बंग्लादेशव पाकिस्तान के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में बाढ़ संरक्षण/कटाव –रोधी कार्य।
- संघ प्रदेशों में बाढ़ प्रबंधन/कटाव-रोधी/समुद्र-कटाव रोधी कार्य।
- गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग के कार्यकलाप