राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के बारे में
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) को सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत 12 अगस्त, 2011 को एक सोसाइटी के रूप में पंजीकृत किया गया था। यह राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (एनजीआरबीए) जिसका गठन पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम (ईपीए), 1986 के उपबंधों के अंतर्गत किया गया है।ईपीए, 1986 के अंतर्गत 7 अक्तूबर 2016 की अधिसूचना संख्या- सां.आ. 3187 (अ) के द्वारा गंगा नदी के पुनरूद्धार संरक्षण और प्रबंधन हेतु राष्ट्रीय परिषद (जिसे राष्ट्रीय गंगा परिषद कहा गया है) के गठन के परिणामस्वरूप 7 अक्तूबर, 2016 से एनजीआरबीए का विद्यटन हो गया है।
एनएमसीजी के पास एक दो स्तरीय प्रबंधन ढांचा है और इसकी शासी परिषद और कार्यकारी समिति भी है। इन दोनों का प्रमुख महानिदेशक, एनएमसीजी होता है। कार्यकारी समिति को 1000 करोड़ रुपए तक की सभी परियोजनाओं को स्वीकृति देने का अधिकार है। राष्ट्रीय स्तर पर विद्यमान ढांचे की भांति राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूह (एसपीएमजी) राज्य गंगा समितियों के कार्यान्वयन अंग हैं। अत: नव-सृजित ढांचे का प्रयास गंगा की सफाई और उसके संरक्षण के काम के प्रति एक व्यापक दृष्टिकोण रखने के लिए सभी हितधारकों को एक मंच पर लाना है।
एनएमसीजी का महानिदेशक (डीजी) भारत सरकार का एक अपर सचिव होता है। एनएमसीजी की समग्र निगरानी के अंतर्गत परियोजनाएं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राज्य स्तरीय कार्यक्रम प्रबंधन समूह (एसपीएमजी) के अध्यक्ष भी संबंधित राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी होते हैं।
एनएमसीजी का लक्ष्य और उद्देश्य राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (एनजीआरबीए) के निम्न अधिदेश को पूरा करना है:-
विजन
गंगा संरक्षण विज़न में ''अविरल धारा'', ''निर्मल धारा'', भूगर्भीय और पारिस्थितिकीय अखंडता सुनिश्चित करने के संदर्भ में नदी की संपूर्णता को बनाए रखना शामिल है।
मुख्य कार्य
उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए, एनएमसीजी को निम्नलिखित कार्य करने होंगे अर्थात्: