विंग प्रमुख: अपर महानिदेशक (सांख्यिकी)
कार्यकलाप:
- केन्द्रीय प्रायोजित 'लघु सिंचाई सांख्यिकी (आर एम आई एस) योजना' का कार्यान्वयन।
- पंचवार्षिक आधार पर लघु सिंचाई (एम आई) योजनाओं की गणना करने की प्रक्रिया का निर्माण और गठन, लघु सिंचाई योजनाओं की स्थिति पर तदर्थ कार्यविधि संबंधी अध्ययन तथा नमूना सर्वेक्षण।
- एमआई योजनाओं की गणना और नमूना सर्वेक्षण हेतु आरएमआईएस योजना के अंतर्गत राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को सहायता अनुदान जारी करना/पुन: वैधीकरण।
- आरएमआईएस योजना के अंतर्गत विभिन्न राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में सृजित सांख्यिकी प्रकोष्ठों के कार्य-निष्पादन की समीक्षा करना।
- आरएमआईएस योजना के अंतर्गत विभिन्न राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में सृजित सांख्यिकी प्रकोष्ठों को धनराशि जारी करना।
- विभिन्न राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की तिमाही प्रगति रिपोर्ट के माध्यम से प्राप्त आंकडों का संग्रहण, समेकन और संवीक्षा करना; लघु सिंचाई योजनाओं के अंतर्गत समस्त भारत/राज्य वार सृजित/ प्रयुक्त क्षमता को अंतिम रूप देना।
- लघु सिंचाई क्षेत्र के विकास हेतु संस्थागत वित्त पर नाबार्ड से तिमाही प्रगति रिपोर्ट एकत्र करना और राज्य/ समस्त भारत संस्थागत वित्त संबंधी आंकडों का संचयन करना।
- लघु सिंचाई योजनाओं की गणना/नमूना सर्वेक्षण में संग्रहित आंकडों की नमूना जांच करना।
- लघु सिंचाई का विश्लेषणात्मक अध्ययन करना।
- मंत्रालय के विभिन्न प्रभागों तथा उसके संगठनों यथा- केन्द्रीय जल आयोग और केन्द्रीय भूमि-जल आयोग, नीति आयोग तथा अन्य हितधारकों को लघु सिंचाई संबंधी सूचना का प्रसार करना।
- आंकडों के संचयन और विश्लेषण सहित सांख्यिकीय मुद्दों पर अन्य विंग/संगठनों के साथ तकनीकी विशेषज्ञता साझा करना।
लघु सिंचाई सांख्यिकी युक्तिकरण योजना की स्थिति:
केन्द्रीय प्रायोजित प्लान योजना 'लघु सिंचाई सांख्यिकी युक्तिकरण (आर एम आई एस)'1987 में शुरू की गई थी जिसमें राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों को शत-प्रतिशत केन्द्रीय सहायता प्रदान की गई थी। इस योजना का लक्ष्य भावी आयोजना हेतु लघु सिंचाई क्षेत्र में एक व्यापक और विश्वसनीय डाटाबेस बनाना है। योजना के मुख्य कार्याकलाप के अंतर्गत सभी भूमिगत और सतही लघु सिंचाई योजनाओं को कवर करते हुए राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में पंचवार्षिक आधार पर की गई लघु सिंचाई योजनाओं की अखिल भारतीय गणना करना शामिल है। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत आरएमआईएस योजना केन्द्रीय क्षेत्र प्लान योजना ''जल संसाधन सूचना प्रणाली का विकास'' का एक भाग बन गई है:-
- संदर्भ वर्ष 1986-67 के संबंध में लघु सिंचाई योजना की पहली गणना राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में की गई थी और नवम्बर, 1993 में रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी।
- संदर्भ वर्ष 1993-94 की दूसरी गणना सितम्बर, 1994 में शुरू की गई और रिपोर्ट मार्च, 2001 में प्रकाशित की गई। इस गणना में जल और ऊर्जा संरक्षण उपायों जैसे- स्प्रिंकलर और ड्रिप सिंचाई प्रणाली तथा सोलर पंपों और पवन चक्कियों जैसे ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्रोतों की नव विकसित प्रौद्योगिकी को अपनाने संबंधी जानकारी को एकत्र किया गया है। पहली बार राष्ट्रीय सूचना केन्द्र (एन आई सी) की सहायता से गणना डाटा का कम्प्यूटरीकरण किया गया और उसके परिणाम मंत्रालय की वेबसाइट पर दिखाए गए।
- वर्ष 2000-2001 के संदर्भ में लघु सिंचाई योजना की तीसरी गणना 33 राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों में की गई। रिपोर्ट नवम्बर, 2005 में जारी की गई।
- यद्यपि वर्ष 2006-07 के संदर्भ में लघु सिंचाई येाजना की चौथी गणना की गई थी, संदर्भ वर्ष 2013-14 हेतु पांचवीं गणना आयोजित की गई है।
गणना में संग्रहित डाटा का प्रयोग आयोजना और नीति निर्माण के प्रयोजनार्थ किया जाएगा। गणना डाटा का उपयोग केन्द्रीय भूमि-जल बोर्ड द्वारा भूमि-जल संसाधनों के अनुमान हेतु भी किया जाता है। इसके अतिरिक्त केन्द्रीय जल आयोग और जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के विभिन्न विंग लघु सिंचाई गणना डाटा का व्यापक रूप से उपयोग करते हैं।