मुख्य पृष्ठ कार्य न्यायाधिकरण 17.09.2016 की बैठक के कार्यवृत में महानदी बेसिन के विभिन्न जल संसाधन मुद्दो पर विचार
17.09.2016 की बैठक के कार्यवृत में महानदी बेसिन के विभिन्न जल संसाधन मुद्दो पर विचार
ओडिशा सराकर ने कहा है कि छत्तीसगढ़ ने हीराकुड बांध के ऊपर अनेक परियोजनाएं शुरू की हैं जो निचले प्रवाह, विशेषकर जल के न्यून प्रवाह की अवधि में, को प्रभावित करेगीं। हीराकुंड नदी के ऊपर चल रही परियोजनाओं का ओडिशा में दीर्घावधि निम्नवत प्रवाह परिणाम जल के गैर-मानसून प्रवाह के बडे हिस्से का धारण करना होगा और इससे पर्यावरणीय संवेदी तटीय और महानदी के डेल्टा क्षेत्र भी प्रभावित होगें। अंत: ओडिशा सरकार ने आग्रह किया है कि छत्तीसगढ़ सरकार को सभी चालू परियोजनाओं पर तीन माह के लिए कार्य बंद कर देना चाहिए।
दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ ने हिमाकत की कि महानदी के कुल जलग्रह का 52.9 प्रतिशत और हीराकुंड के जलग्रह का 89.9 प्रतिशत उनके राज्य में है और उन्हें महानदी के जल का उपयोग करने का अधिकार है। छत्तीसगढ़ ने कहा कि ओडिशा ने कुछ वृहत और मध्यम परियोजनाएं उन्हें नदी तट राज्य होने के नाते, उसे बिना बताए शुरू की हैं।
उपरोक्त के मध्येनजर, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने महानदी बेसिन में विभिन्न जल संसाधन मुद्दों पर विचार करने के लिए 29.7.2016 और 17.09.2016 को दो बैठकें की। माननीय मंत्री की अध्यक्षता में ओडिशा और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के साथ 17.09.2016 को हुई बैठक में निम्नलिखित निर्णयों पर मंथन हुआ :-
i. विशेष समिति डॉ. अमरजीत सिंह विशेषकार्याधिकारी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय की अध्यक्षता में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय की गठित तकनीकी परामर्श समिति के अनुमोदन के बिना ओडिशा और छत्तीसगढ़ में निर्माणाधीन जल संसाधन परियोजना की सूची बनाएगी और जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय को सूचित करेगी।
ii. केंद्रीय जल उपयोग के प्रतिनिधियों सहित ओडिशा और छत्तीसगढ़ सरकार की विशेष समिति का गठन।
5. छत्तीसगढ़ सरकार ने चालू परियोजनाओं के संबंध में सूचना का सहभाजन किया। तथापि, ओडिशासरकार ने मामलो को अंतर्राज्जीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 के अंतर्गत अधिनिर्णय हेतु भेजा है। मंत्रालय ने दिनांक 19 जनवरी, 2017 के पत्र द्वारा आईएसआरडब्ल्यूडी अधिनियम 1956 के अनुसार समझौता-वार्ता समिति का गठन किया है।