अंतर्राज्जीय जल विवाद अधिनियम, 1956 की धारा-4 के अंतर्गत केंद्र सरकार के न्यायधीश वी. रामास्वामी की अध्यक्षता में नर्मदा जल और नर्मदा नदी घाटी विकास के सहभाजन पर निर्णय देने के लिए 6 अक्तूबर,1969 को नर्मदा जल विवाद अभिकरण (एनडब्ल्यूडीटी) का गठन किया।
अभिकरण का पंचाट
अभिकरण ने अपना पंचाट 7 दिसंबर, 1979 को दिया। भारत सरकार ने 12 दिसंबर, 1979 को एनडब्ल्यूडीटी पंचाट अधिसूचित किया, जिसके बाद यह विवादित पक्षकारों पर अंतिम और बाध्य हो गया। पंचाट में गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थानके चार राज्यों द्वारा 75 प्रतिशत की सहभाजन आश्रिता पर उपयोगनीय जल की मात्रा निर्दिष्ट की।
राज्य | प्रवाह |
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गुजरात | 9.00 एमएएफ |
मध्य प्रदेश | 18.25 एमएएफ |
महाराष्ट्र | 0.25 एमएएफ |
राजस्थान | 0.50 एमएएफ |
कुल | 28.00 एमएएफ |
(एमएएफ-मिलियन एकड़ फीट) |
अभिकरण ने निर्धारण किया कि सरदार सरोवर बांध की उंचाई 138.68 मी.(455 फीट) के पूर्ण जलाश्य स्तर पर निश्चित की जानी चाहिए और गुजरात सरकार को तदनुसार बांध का निर्माण पूर्ण करने का आदेश भी दिया। अभिकरण के अंतिम आदेश के अनुचछेद-16 के अनुसार, राज्यों द्वारा उपयोगनीय जल के हिस्से का मानदंड, जलाशय का एफआरएल और नवागम नहर का पूर्ण आपूर्ति स्तर की समीक्षासरकारी राजपत्र में अभिकरण के पंचाट’ के प्रकाशनकी तारीख से 45 वर्षों की अवधि के बाद किसी भी समय की जा सकती है।