चीन से भारत की ओर सीमा पार से बहने वाली नदियों को दो मुख्य समूहों में बांटा गया है। 1) पूर्वी भाग में ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली जिसमें सियांग नदी (ब्रह्मपुत्र नदी की मुख्य धारा) और इसकी सहायक नदियां नामत: सुबनश्री और लोहित। ब्रह्मपुत्र नदी को चीन में येलुजंगबु अथवा सांगपो कहा जाता है। और 2) पश्चिमी भाग में सिंधु नदी प्रणाली जिसमें सिंधु नदी और सतलुज नदी शामिल है।
वर्ष 2002 में भारत सरकार ने पांच वर्षों के लिए चीन से भारत द्वारा बाढ़ के मौसम के दौरान येलुजंगबु /ब्रह्मपुत्र नदी पर जल विज्ञान संबंधी सूचना के प्रावधान के संबंध में एक समझौता किया था। इस समझौता ज्ञापन में निहित प्रावधानों के अनुसार चीनी पक्ष नियमित आधार पर भारतीय प्राधिकारियों को जल विज्ञान संबंधी सूचना (जल स्तर, प्रवाह और वर्षा) प्रदान कर रहा है । इस संबंध में समझौता ज्ञापन की मियाद को समय समय पर बढ़ाया जा रहा है।
अक्टूबर, 2013 में भारत के माननीय प्रधानमंत्री के चीनी दौरे के दौरान दोनों ही देशों ने 23 अक्टूबर, 2013 को सीमापार नदियों पर सहयोग को मजबूत करने के लिए एक अलग समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किया, इस समझौता ज्ञापन में अन्य बातों के साथ साथ तीन जल विज्ञान संबंधी केन्द्रों के जल विज्ञान संबंधी सूचना के प्रावधान के कार्यक्षेत्र को भी बढ़ाया गया है।
दिसम्बर, 2010 में चीन के माननीय प्रधान मंत्री के भारत की यात्रा के दौरान चीन द्वारा भारत को बाढ़ के मौसम के दौरान सतलुज/ लैंगेन जैंगबो नदी संबंधी जल विज्ञान सूचना के प्रावधान के लिए 16 दिसम्बर, 2010 को भारत के साथ एक समझौता किया गया जिसकी मियाद पांच वर्षों की थी । सतलुज नदी संबंधी समझौता ज्ञापन के संबंध में जल विज्ञान संबंधी सूचना के प्रावधान, आंकड़ा प्रेषण पद्धति और लागत निपटान आदि के तकनीकी ब्यौरे वाली कार्यान्वयन योजना पर बीजिंग, चीन में अप्रैल, 2011 को दोनों ही देशों के बीच हस्ताक्षर हुआ। नवम्बर, 2015 में चीनी गणतंत्र के माननीय उपराष्ट्रपति के हाल के दौरे के दौरान एक समझौते का दिनांक 06.11.2015 को अगले पांच वर्ष की मान्यता के साथ नवीकरण किया गया है। तदनुसार हीं, नई दिल्ली, भारत में हुई 10वीं ईएलएम बैठक के दौरान सतलुज नदी संबंधी कार्यान्वयन योजना पर हस्ताक्षर किया गया है।
20-23 नवम्बर, 2006 में चीनी गणतंत्र के माननीय राष्ट्रपति के भारत दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच हुए समझौते के अनुसार सीमा पर नदियों के संबंध में बाढ़ के मौसम में जल विज्ञान संबंधी आंकड़े, आपातकालीन प्रबंधन और अन्य मुद्दों पर परस्पर बातचीत करने और सहयोग करने के लिए एक विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र की स्थापना करने पर सहमति हुई। तदनुसार ही दोनों पक्षों ने संयुक्त विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र की स्थापना की है।