ब्रह्मपुत्र बोर्ड
ब्रह्मपुत्र बोर्ड की स्थापना ‘ ब्रह्मपुत्रबोर्ड अधिनियम, 1980 (1980 का 46)’ नामक एक संसद के अधिनियम के तहत भारत सरकार द्वारा सिंचाई मंत्रालय (जिसे अब जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के नाम से जाना जाता है) के अंतर्गत की गई थी जिसका उद्देश्य ब्रह्मपुत्र घाटी में बाढ़ तथा नदी के किनारों के कटाव को नियंत्रित करने और उससे जुडे मामलों में योजना बनाना और उसके एकीकृत उपायों को लागू करना था। बोर्ड के कार्यालय ने 11 जनवरी, 1982 से काम करना शुरू कर दिया है और उसका मुख्यालय गुवाहाटी में है। बोर्ड के कार्यक्षेत्र में सिक्किम सहित पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी राज्यों में फैली समस्त् ब्रह्मपुत्र और बराकघाटी तथा ब्रह्मपुत्र बेसिन में आने वाला पश्चिम बंगाल का एक हिस्सा है।
ब्रह्मपुत्र बोर्ड के मुख्य कार्य है:- –
- ब्रह्मपुत्र और बराक घाटी में ‘सर्वेक्षण और जांच’ करना तथा ब्रह्मपुत्र घाटी में बाढ नियंत्रण, नदी तट के कटाव और जल निकासी में सुधार तथा इससे जुडे मामलों अर्थात् सिंचाई, जल विद्युत, नौवहन और अन्य लाभप्रद प्रयोजनों के लिए ब्रह्मपुत्र घाटी के जल संसाधनों का विकास और उपयोग करने हेतु मास्टर प्लान तैयार करना।
- बांधों तथा अन्य परियोजनाओं के संबंध में राज्यों के बीच लागत के बंटवारे सहित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट और अनुमान तैयार करना।
- भारत सरकार द्वारा अनुमोदित मास्टर प्लान में चिन्हित अन्य परियोजनाओं और बांधों के चरणबद्ध निर्माण/ कार्यान्वयन हेतु राज्य सरकारों के परामर्श से कार्यक्रम तैयार करना।
- ऐसे बांधों और अन्य परियोजनाओं के निर्माण, संचालन और अनुरक्षण हेतु मानकों और विनिर्देशों को अंतिम रूप देना और
- भारत सरकार द्वारा अनुमोदित मास्टर प्लान में चिन्हित बहुउद्देशीय तथा अन्य जल संसाधन परियोजनाओं का निर्माण, संचालन और अनुरक्षण करना।