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    भारत-चीन सहयोग

    क) ब्रह्मपुत्र/यालुजांगबू नदी की हाइड्रोलॉजिकल सूचना के प्रावधान पर समझौता ज्ञापन

    चीन से भारत की ओर बहने वाली सीमा पार की नदियाँ दो मुख्य समूहों में विभाजित हैं। 1) पूर्वी तरफ ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली, जिसमें सियांग नदी (ब्रह्मपुत्र नदी की मुख्य धारा) और इसकी सहायक नदियाँ, अर्थात् सुबनसिरी और लोहित शामिल हैं। ब्रह्मपुत्र नदी को चीन में यालुज़ांगबू या त्संगपो कहा जाता है। 1) पश्चिमी तरफ सिंधु नदी प्रणाली में सिंधु नदी और सतलुज नदी शामिल हैं।

    वर्ष 2002 में, भारत सरकार ने चीन के साथ बाढ़ मौसम के दौरान चीन की ओर से भारत आने वाली यालुजंगबू/ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन के द्वारा भारत को जल विज्ञान की जानकारी उपलब्ध कराने हेतु पांच वर्षों के एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया था । समझौता ज्ञापन में सम्मिलित उपबंधों के अनुसार, चीन मानसून मौसम (हर साल 15 मई से 15 अक्टूबर) के दौरान नियमित रूप से भारतीय अधिकारियों को जल विज्ञान की जानकारी (जल स्तर, डिस्चार्ज और वर्षा) प्रदान कर रहा है । इस संबंध में, समझौता ज्ञापन को वर्ष 2008, 2013 और 2018 में नवीनीकृत किया गया था । यह समझौता ज्ञापन 5 जून 2023 को समाप्त हो गया है और राजनयिक वर्ष 2002 में, भारत सरकार ने चीन के साथ बाढ़ मौसम के दौरान चीन की ओर से भारत आने वाली यालुजंगबू/ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन के द्वारा भारत को जल विज्ञान की जानकारी उपलब्ध कराने हेतु पांच वर्षों के एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया था । समझौता ज्ञापन में सम्मिलित उपबंधों के अनुसार, चीन मानसून मौसम (हर साल 15 मई से 15 अक्टूबर) के दौरान नियमित रूप से भारतीय अधिकारियों को जल विज्ञान की जानकारी (जल स्तर, डिस्चार्ज और वर्षा) प्रदान कर रहा है । इस संबंध में, समझौता ज्ञापन को वर्ष 2008, 2013 और 2018 में नवीनीकृत किया गया था । यह समझौता ज्ञापन 5 जून 2023 को समाप्त हो गया है और राजनयिक चैनलों के माध्यम से नवीनीकरण की प्रक्रिया में है।

    भारत के माननीय प्रधानमंत्री की अक्तूबर, 2013 में चीन यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 23 अक्तूबर, 2013 को एक अन्‍य “सीमा पार नदियों पर सहयोग को सुदृढ़ करने संबंधी हेतु समझौता ज्ञापन” पर भी हस्ताक्षर किए जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ, तीन जल विज्ञान केंद्रों के जल विज्ञान संबंधी जानकारी उपलब्ध कराने का दायरा बढ़ाया गया था।

    ख)सतलुज नदी / लैंगकेन जांगबो पर हाइड्रोलॉजिकल डेटा शेयरिंग पर समझौता ज्ञापन

    वर्ष 2004 में सतलुज नदी के लिए भी शीघ्र चेतावनी प्रणाली हेतु अंतर्सीमा सहयोग की आवश्यकता महसूस की गयी थी । तदनुसार, सतलुज (जिसे चीन में लैंगकेनजंगबो कहा जाता है) नदी पर चीन के साथ एक समझौता ज्ञापन भी प्रस्तुत किया गया था। समझौता ज्ञापन का मुख्य उद्देश्य निचले इलाकों में बाढ़ नियंत्रण और आपदा में कमी लाना है।

    इस प्रकार, बाढ़ के मौसम में चीन से भारत की ओर आने वाली सतलुज/लैंगकेनजंगबो नदी की जल विज्ञान संबंधी जानकारी चीन के द्वारा भारत को उपलब्ध कराने पर अप्रैल, 2005 में चीन जनवादी गणराज्य के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत, चीनी पक्ष सतलुज/लैंगकेनजंगबो नदी पर स्थित त्‍साडा केंद्र  की जल विज्ञान संबंधी जानकारी प्रदान करता है। समझौता ज्ञापन की वैधता पांच वर्षों की है। समझौता ज्ञापन को वर्ष 2010 में चीन के माननीय प्रधान मंत्री की भारत यात्रा के दौरान और नवंबर, 2015 में चीन जनवादी गणराज्य के माननीय उपराष्ट्रपति की यात्रा के दौरान अगले पांच वर्षों के लिए नवीनीकृत किया गया था। सतलुज नदी पर समझौता ज्ञापन नवंबर, 2020 में ही समाप्त हो चुका है और राजनयिक चैनलों के माध्यम से समझौता ज्ञापन के नवीकरण की प्रक्रिया चल रही है।

    भारत-चीन सहयोग

    चीन के साथ ब्रह्मपुत्र और सतलुज नदियों पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हो जाने के बाद कार्यान्वयन योजनाओं पर हस्ताक्षर किए जाते हैं। भारत और चीन के बीच अहमदाबाद में 13 जून, 2019 को 12 वीं विशेषज्ञ स्तर प्रणाली (एक्सपर्ट लेवल मेकेनिज्म) बैठक के दौरान ब्रह्मपुत्र पर पिछली कार्यान्वयन  योजनाओं पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसका आयोजन अहमदाबाद में 12-13 जून, 2019 के दौरान किया गया था । दिल्ली में 13 अप्रैल, 2016 को सतलुज की पिछली कार्यान्वयन योजनाओं पर हस्ताक्षर किए गए थे ।

    विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र (ईएलएम)

    चीन जनवादी गणराज्य के माननीय राष्ट्रपति की 20-23 नवंबर, 2006 की भारत यात्रा के दौरान, बाढ़ मौसम संबंधी जल विज्ञान आंकड़े उपलब्‍ध कराने, आपातकालीन प्रबंधन और सीमा-पार नदियों से संबंधित दोनों पक्षों की सहमति से अन्य मामलों पर बातचीत और सहयोग पर चर्चा करने के लिए एक विशेषज्ञ-स्तर प्रणाली स्थापित करने पर दोनों के बीच सहमति बनी थी। तदनुसार, दोनों देशों ने एक संयुक्त घोषणापत्र के माध्यम से संयुक्त विशेषज्ञ स्तर प्रणाली की स्थापना कर ली है।

    हर साल, ईएलएम की बैठकें बारी-बारी से भारत और चीन में आयोजित की जाती हैं। अब तक, ईएलएम की चौदह बैठकें आयोजित की गई हैं (बारह बैठकें प्रत्यक्ष या फीजिकल रूप से, बारी- बारी से भारत और चीन में) । 13वीं बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई । ईएलएम की 14वीं बैठक 20 -21 जून, 2023 के दौरान नई दिल्ली में आयोजित की गई थी ।