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    सिंधु जल संधि 1960

    पृष्‍ठभूमि

    स्‍वतंत्रता के समय, दो नव निर्मित स्‍वतंत्र देशों यथा पाकिस्‍तान और भारत के बीच सिंधु बेसिन के आर पार एक सीमा रेखा खींची गयी जिसमें पाकिस्‍तान को निम्‍न क्षेत्र मिला। इसके अतिरिक्‍त, दो महत्‍वपूर्ण सिंचाई संबंधी मुख्‍य कार्य, एक रावी नदी पर माधोपुर में और दूसरा सतलुज नदी पर फिरोजपुर में, जिन पर पाकिस्‍तान पूर्णत: निर्भर था, को भारतीय क्षेत्र में छोड़ दिया गया था।इस प्रकार विद्यमान सुविधाओं से सिंचाई जल के उपयोग के संबंध में दोनों देशों के बीच एक विवाद उत्‍पन्‍न हुआ। अंतरराष्‍ट्रीय पुनर्गठन और विकास बैंक (विश्‍व बैंक) के तत्‍वावधान में समझौता हुआ जिसके परिणामस्‍वरूप 1960 में सिंधु जल समझौता हुआ।इस संधि पर करांची में पाकिस्‍तान के तत्‍कालीन फिल्‍ड मार्शल मोहम्‍मद अयूब खान और भारत के तत्‍कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू एवं विश्‍व बैंक के श्री डब्‍लू, ए. बी. इलिफ द्वारा 19 सितम्‍बर, 1960 को हस्‍ताक्षर किया गया ।तथापि, यह संधि 1 अप्रैल 1960 (प्रभावी तिथि) से प्रभावी हुई।

    सिंधु नदी जल संधि, 1960 के संक्षिप्‍त प्रावधान सिंधु जल संधि, 1960 के पूर्ण पाठ के लिए कृपया यहां क्‍लिक करें(PDF 55KB)