बांध पुनर्वासऔर सुधार कार्यक्रम
- भारत में बांध सुरक्षा कार्यकलापों को सतत् करने के भाग के रूप में, रुपये 2100 करोड़ की अनुमानित लागत पर विश्व बैंककी सहायता से ‘बांध पुनर्वास और सुधारित परियोजना’ शुरू की गई है। इस परियोजना के अंतर्गत चार राज्यों अर्थात मध्य प्रदेश, ओडि़शा, केरल और तमिलनाड़ में लगभग 225 वृहत बांधों का पुनर्वास किया जाएगा। तत्पश्चात, तीन अन्य राज्यों/संगठनों (नामत: कर्नाटक, उत्तरांचल जल विद्युत निगम लिमिटेड और दामोदर घाटी कार्पोरेशन) भी डीपीआईआर शामिल हो गए हैं जिसके लिए परियोजना अनुमान में आबंटित संसाधनों का प्रावधान किया गया है। डीपीआईआर के उद्धेश्य है:
- बांधों और संबद्ध संपत्त्िा स्वामित्वों का पुनर्वास और सुधार
- राज्यों और सीडब्ल्यूसी में बांध सुरक्षा संस्थागत सुदृढ़ता, और प्रतिभागी
- परियोजना प्रबंधन
- डीपीआईआर के उद्धेश्य भौतिक और प्रौद्योगिक बांध सुधारों, बांध प्रचालनों का प्रबंधकीय उन्नयन, संस्थागत सुधारों सहित प्रबंधन और अनुरक्षा के जरिए हांसिल किए जा सकते हैं। इसके अलावा,यह अपेक्षित है कि संस्थागत विकास कार्यकलापों से परियोजना में शामिल चयनित बांधों पर ध्यान देने के अतिरिक्त, सभी प्रतिभागी राज्यों में सभी बांधों को प्रणालीबद्ध प्रबंधन अवधारणा में सुधार होगा। अत: परियोजना साकल्य रूप में बांध प्रणाली प्रबंधन पर ध्यान देगी। डीआरआईपी के लिए परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियां हैं- चार प्रतिभागी राज्यों के जल संसाधन विभाग और तमिलनाडु, केरल के राज्य विद्युत बोर्ड, दामोदर घाटी कार्पोरेशन और उत्तराखंड जल विद्युत निगम। परियोजना के समग्र कार्यान्वयन का समन्वय प्रबंधन और इंजीनियरी परामर्शी फर्म की सहायता से केंद्रीय जल आयोग करेगा। डीआरआईपी में शामिल बांधों की राज्य-वार संख्या और परियोजना लागत का अनुमान संक्षेप में, नीचे तालिका में दिया गया है:
राज्य डीआरआईपी बांधों की संख्या कुल परियोजना लागत
(करोड रुपये)केरल (डब्ल्यूआरडी और ईबी) 28 279.98 ओडिशा (डब्ल्यूआरडी) 26 147.74 मध्य प्रदेश (डब्ल्यूआरडी) 29 314.54 तमिलनाडु(डब्ल्यूआरडी और ईबी) 107 745.49 कर्नाटक (डब्ल्यूआरडी) 27 276.75 झारखंड (डीवीसी ) 3 139.40 उत्तराखंड (यूजेवीएनएल) 2 64.10 केंद्रीय जल आयोग 132.00 कुल 225 2100.00 डब्ल्यूआरडी : जल संसाधन विभाग, ईबी: विद्युत बोर्ड डीवीसी: दामोदर घाटी कार्पोरेशन, यूजेवीएनएल:उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड - स्कीम का वित्तीयन स्वरूप विश्व बैंक ऋण से 80 प्रतिशत (50 प्रतिशत आईडीए क्रेडिट और 50 प्रतिशत आईबीआरडी ऋण) और राज्य/केंद्र सरकार बजटीय सहायता से 20 प्रतिशत होगा। रुपये 2100 करोड़ की कुल अनुमानित लागत में से विश्व बैंक, डीआरआईपीराज्यों और केंद्र हिस्सा रुपये 1680 करोड़, रुपये 393.60 करोड़ और रुपये 26.40 करोड़ क्रमश: होगा। चिन्हित बांधों के पुनर्वास और सुधार हेतु संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक उपायों के अलावा, परियोजनाके कार्यक्षेत्र में प्रतिभागी राज्यों में सभी बड़े बांधों के सुरक्षित प्रचालनव अनुरक्षाहेतु उपयुक्त संस्थागत तंत्रों का विकास शामिल है। इसके अलावा, राष्ट्रीय स्तर की बांध सुरक्षा और मार्गदर्शन हेतु संस्थागतसेट-अप केंद्रीय जल आयोग करेगा। परियोजना 18 अप्रेल, 2012 से प्रभावी हो गई है और छह वर्षों की अवधि में कार्यान्वितकी जाएगी।
- डीआरआईपी की समग्र प्रगति कीमॉनीटरिंग राष्ट्रीय स्तरीय संचालन समिति कर रही है। अभी तक, बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (डीआरआईपी) की राष्ट्रीय स्तरीय संचालन समिति की पांच बैठकें 1मई, 2015,29जुलाई, 201, 11अप्रेल, 2016, 4अगस्त ,2016 और 12जनवरी, 2017 को हो चुकी हैं।
- इसके अलावा डीआरआईपी के कुछ महत्वपूर्ण कार्यकलापों में प्रत्याशित जटिलताओं के मध्येनजर डीआरआईपी को दो वर्ष की अवधि अर्थात जून,2020 तक बढ़ाने का प्रस्ताव है।
- सचिव (जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण) ने सभी प्रमुख उच्च बांधों को शामिल करने और निर्दिष्ट क्षेत्र के निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु 23 राज्यों को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। डीआरआईपी- II में शामिल किए जाने वाले लगभग 400 बड़े बांधों को शामिल करने का प्रस्ताव है जिसकी अनुमानित लागत रुपये 7000-8000 करोड़ है।