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    एनएमसीजी

    प्रकाशित तिथि: दिसम्बर 30, 2022

    राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के बारे में

    राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) को सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत 12 अगस्त, 2011 को एक सोसाइटी के रूप में पंजीकृत किया गया था। यह राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (एनजीआरबीए) जिसका गठन पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम (ईपीए), 1986 के उपबंधों के अंतर्गत किया गया है।ईपीए, 1986 के अंतर्गत 7 अक्तूबर 2016 की अधिसूचना संख्या- सां.आ. 3187 (अ) के द्वारा गंगा नदी के पुनरूद्धार संरक्षण और प्रबंधन हेतु राष्ट्रीय परिषद (जिसे राष्ट्रीय गंगा परिषद कहा गया है) के गठन के परिणामस्वरूप 7 अक्तूबर, 2016 से एनजीआरबीए का विद्यटन हो गया है।

    1. भारत के माननीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय गंगा परिषद।
    2. माननीय केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री की अध्यक्षता में एक अधिकार प्राप्त कृतक बल (ईटीएफ)।
    3. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी)।
    4. राज्य गंगा समितियाँ और
    5. राज्यों में गंगा नदी और इसकी सहायक नदियों के निकटवर्ती प्रत्येक विशिष्ट जिले में जिला गंगा समितियां।

    एनएमसीजी के पास एक दो स्तरीय प्रबंधन ढांचा है और इसकी शासी परिषद और कार्यकारी समिति भी है। इन दोनों का प्रमुख महानिदेशक, एनएमसीजी होता है। कार्यकारी समिति को 1000 करोड़ रुपए तक की सभी परियोजनाओं को स्वीकृति देने का अधिकार है। राष्ट्रीय स्तर पर विद्यमान ढांचे की भांति राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूह (एसपीएमजी) राज्य गंगा समितियों के कार्यान्वयन अंग हैं। अत: नव-सृजित ढांचे का प्रयास गंगा की सफाई और उसके संरक्षण के काम के प्रति एक व्यापक दृष्टिकोण रखने के लिए सभी हितधारकों को एक मंच पर लाना है।

    एनएमसीजी का महानिदेशक (डीजी) भारत सरकार का एक अपर सचिव होता है। एनएमसीजी की समग्र निगरानी के अंतर्गत परियोजनाएं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राज्य स्तरीय कार्यक्रम प्रबंधन समूह (एसपीएमजी) के अध्यक्ष भी संबंधित राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी होते हैं।

    एनएमसीजी का लक्ष्य और उद्देश्य राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (एनजीआरबीए) के निम्न अधिदेश को पूरा करना है:-

    1. व्यापक आयोजना और प्रबंधन हेतु अंतर-क्षेत्रक समन्वय को बढ़ावा देने हेतु एक नदी बेसिन दृष्टिकोण अपनाकर गंगा नदी के सरंक्षण और उसके प्रदूषण को प्रभावी रूप से कम करना सुनिश्चित करना और
    2. जल की गुणवत्ता और पर्यावरणीय सतत विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से गंगा नदी में न्यूनतम पारिस्थितिकीय प्रवाह बरकरार रखना।

    विजन

    गंगा संरक्षण विज़न में ”अविरल धारा”, ”निर्मल धारा”, भूगर्भीय और पारिस्थितिकीय अखंडता सुनिश्चित करने के संदर्भ में नदी की संपूर्णता को बनाए रखना शामिल है।

    मुख्य कार्य

    उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए, एनएमसीजी को निम्नलिखित कार्य करने होंगे अर्थात्:

    1. राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के निर्माण कार्यक्रम को लागू करना।
    2. विश्व बैंक समर्थित राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन परियोजना को लागू करना।
    3. एनजीबीआरए के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा स्वीकृत की गई परियोजनाओं के कार्यान्वयन को समन्वित करना तथा उसकी निगरानी करना।
    4. गंगा नदी के परिरक्षण के क्षेत्र में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा सौपें गए अतिरिक्त कार्य को करना।
    5. एनएमसीजी के कार्य संचालन हेतु नियम और विनियम बनाना तथा उनमें समय-समय वृद्धि, संशोधन या उन्हें रद्द करना।
    6. कोई धनराशि, ऋण प्रतिभूति या किसी प्रकार की संपत्ति स्वीकार करना या उपलब्ध कराना तथा किसी धर्मार्थ न्यास के प्रबंधन, राशि या दान को स्वीकार करना जो एनएमसीजी के उद्देश्यों के अननुरूप न हो।
    7. एनजीबीआरए के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु आवश्यक या अनुषंगिक प्रतीत होने वाले सभी कार्य करना और उनमें शामिल होना।

    गंगा नदी बेसिन पर्यावरण प्रबंधन योजना:अंतरिम रिपोर्ट
    प्राधिकरण के रूप में गठित एनएमसीजी हेतु राजपत्र अधिसूचना