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    कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण

    प्रकाशित तिथि: मार्च 15, 2023

    1.0 प्रस्तावना

    केंद्रीय सरकार अंतर-राज्य नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 की धारा 6क द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, एक स्कीम है,जिसमें, अन्य बातों के साथ-साथ, कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (जिसे इसमें इसके बाद “प्राधिकरण” कहा गया है) और कावेरी जल विनियमन समिति (जिसे इसमें इसके पश्चात्‌ “समिति” कहा गया है) जैसाकि माननीय उच्चतम न्यायालय के तारीख 16 फरवरी, 2018 के निर्णय मे दिया गया है |

    2.0 कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना

    प्राधिकरण का गठन.–कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण नामक एक प्राधिकरण होगा।
    प्राधिकरण एक निगमित निकाय होगा जिसका सतत उत्तराधिकार और सामान्य मुहर होगी तथा वह वाद ला सकेगा तथा उस पर वाद लाया जा सकेगा।
    प्राधिकरण निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बनेगा, अर्थातः-

      (क) अध्यक्ष-केन्द्रीय सरकार द्वारा ऐसे सेवारत अधिकारियों में से नियुक्त किया जाएगा जिसका कार्यकाल पांच वर्ष अथवा पैंसठ वर्ष की आयु होने तक, जो भी पहले हो, होगाः-

      I. जो एक वरिष्ठ और विख्यात अभियंता हो और जल संसाधन प्रबंधन; अंतर्राज्यीय जल भागीदारी मुद्दों को निपटाने; सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण, प्रचालन और अनुरक्षण में व्यापक अनुभव रखता हो; अथवा
      II. सरकार के सचिव अथवा अपर सचिव पद का अखिल भारतीय सेवा अधिकारी जो जल संसाधन तथा
      अंतर्राज्यीय जल भागीदारी मुद्दों में अनुभव रखता हो।
      (ख) दो पूर्ण-कालिक सदस्य – केन्द्रीय सरकार द्वारा तीन वर्ष की अवधि, जिसका पांच वर्ष तक विस्तार किया जा सकेगा, के लिए निम्नानुसार नियुक्त किए जाएंगेः-

      I. एक सदस्य (जल संसाधन) – केन्द्रीय जल अभियांत्रिकी सेवा (सीडब्ल्यूईएस) संवर्ग में से मुख्य अभियंता से अन्यून इंजीनियर;
      II. एक सदस्य (कृषि) -कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आयुक्त से अन्यून;
      (ग) दो अंश-कालिक सदस्य -क्रमश: जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा नामनिर्दिष्ट किए जाने वाले केन्द्रीय सरकार के संयुक्त सचिव के रैंक के दो प्रतिनिधि ;

      (घ) पक्षकार राज्यों से चार अंश-कालिक सदस्य -केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु राज्य सरकार और पुदुच्चेरी संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन प्रत्येक के जल संसाधन विभागों के भारसाधक प्रशासनिक सचिव, जिनको क्रमशः राज्य सरकारों और संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन द्वारा नामनिर्दिष्ट किया जाएगा।
      गणपूर्ति और मतदान :(1) छह सदस्य गणपूर्ति होंगे और सिवाय प्राधिकरण के ऐसे कारबार, जो समय-समय पर नेमी कारबार के रूप में विहित किया जाए, प्राधिकरण के कारबार का संव्यवहार करने के लिए बहुमत की सहमति आवश्यक होगी । सदस्यों की शक्तियां समान होगी |
      (2) यदि गणपूर्ति पूरा न होने के कारण बैठक स्थगित की जाती है तो अगली बैठक तीन दिनों के भीतर की जाएगी और उस बैठक के लिए गणपूर्ति पूरा करना आवश्यक नहीं होगा।

      3.0 का.ज. प्र. प्रा. के कार्यों का विवरण निम्नानुसार है।:

      प्राधिकरण, माननीय उच्चतम न्यायालय के तारीख 16 फरवरी, 2018 के आदेश द्वारा यथा संशोधित अधिकरण के पंचाट का अनुपालन और कार्यान्वयन करने के लिए आवश्यक, पर्याप्त और वांछनीय कोई अथवा सभी कार्य को करने के लिए अधिकार का प्रयोग करेगा और कर्तव्य का निर्वाह करेगा जिनमें निम्नलिखित भी हैं:

      1. कावेरी जल का भंडारण, प्रभाजन, विनियमन और नियंत्रण;
      2. जलाशथों के प्रचालन का पर्यवेक्षण और विनियमन समिति की सहायता से उनसे छोड़े गए जल का विनियमन;
      3. बिलीगुंडलू गेज के रूप में वर्तमान में अभिज्ञात अंतर-राज्यीय संपर्क बिन्दु पर कर्नाटक द्वारा जारी जल का विनियमन और कर्नाटक तथा तमिलनाडु की साझा सीमा पर स्थित निस्सरण केन्द्र।

      प्राधिकरण अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित कार्यों का निष्पादन करेगा अर्थातः-

      1. प्राधिकरण जल वर्ष की शुरूआत अर्थात प्रत्येक वर्ष के पहले जून को विनिर्दिष्ट जलाशयों में कुल शेष भंडारण का निर्धारण करेगा। चूंकि मौसम-वार नदी बहाव की मात्रा को जानना संभव नहीं है, जो कि एक मौसम के दौरान उपलब्ध होगा, यह अनुमान लगाया जाएगा कि बहाव 50% निर्भर योग्य वर्ष (740 टीएमसी जल उपलब्धता) के अनुसार होगा। प्रत्येक राज्य के भाग का अवधारण इस प्रकार निर्धारित किया जाएगा जैसा कि जलाशय में पहले की भंडारण उपलब्धता के साथ अनुमान लगाया जाता है। प्रत्येक पक्षकार राज्य के लिए निर्धारित हिस्सों के आधार पर मौसम के पहले दस दिनों के समय अंतराल के दौरान जल निष्कासन की अनुमति होगी, जो कि कावेरी जल विनियमन समिति के समक्ष जल मांग सूची रखते हुए प्रत्येक संबंधित राज्य द्वारा सूचित उसी अवधि के दौरान जल आवश्यकता तक सीमित होगी।
      2. प्राधिकरण पूर्ववर्ती समय अंतराल के अंत में बेसिन में वास्तविक जल उपलब्धता के भंडार के साथ-साथ अंतराल के दौरान उपयोग अथवा जल छोड़ने और तैयार भंडारण का अभिलेख रखेगा और बहाव की धारा का आकलन करेगा तथा तदनुसार आगे के समय अंतराल के लिए राज्यों के लिए जल निष्कासन को प्राधिकृत करेगा। ऊपर वर्णित उपबंध को लागू करने के लिए प्राधिकरण को दो अथवा और अधिक समय अंतरालों के लिए इस व्यवस्था को दोहराना होगा।
      3. प्राधिकरण बेहतर वर्ष के दौरान आगे ले जाए गए भंडारण और पर्यावरणीय उद्देश्यों के लिए जल छोड़ने सहित तारीख 16 फरवरी, 2018 के आदेश द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा यथा संशोधित प्राधिकरण के निर्णय का कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगा। प्राधिकरण, विनियमन समिति के माध्यम से और केन्द्रीय जल आयोग तथा अन्य केन्द्रीय अथवा राज्य संगठनों से यथा आवश्यक सहायता सहित नदी बेसिन में जल पर दबाव की स्थिति की पहचान करेगा। पक्षकार राज्यों द्वारा जल की कमी की स्थिति के पश्चात् उस अवधि के दौरान जल बहाव की कमी से हुए दबाव की साझेदारी की जाएगी और पक्षकारों को आवंटित जल की हिस्सेदारी को ध्यान में रखते हुए प्राधिकरण द्वारा इसके विस्तार का निर्धारण किया जाता है।
      4. सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन, घरेलू और औद्योगिक उपयोगों आदि के लिए संबंधित राज्यों की मौसमी जलआवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वर्ष में प्रत्येक दस दिनों की अवधि हेतु प्राधिकरण के सकल दिशा-निर्देशों के अधीन संबंधित राज्य द्वारा एकीकृत रूप में नदी बेसिन में निम्नलिखित महत्वपूर्ण जलाशयों अर्थात् केरल में बाणासूर सागर, कर्नाटक हेमावती, हारंगी, कबिनी और कृष्णराजा सागर तथा तमिलनाडु में निचली भवानी, अमरावती और मैत्तूर का प्रचालन किया जाएगा। जहां तक संभव हो अतिरिक्त जल की शेष मात्रा को संरक्षित किया जाएगा तथा जल के बह जाने (स्पिलेज) को न्यूनतमतक घटाया जाएगा।
      5. प्राधिकरण प्रत्येक पक्षकार राज्य के लिए फसल पैर्टन, रोपित क्षेत्र और सिंचित क्षेत्र की लेखा का अनुरक्षण करेगा। प्राधिकरण प्रत्येक पक्षकार राज्य द्वारा घेरलू और औद्योगिक जल उपयोग की लेखा का भी अनुरक्षण करेगा।
      6. प्राधिकरण आंकड़ा पारेषण के लिए कावेरी बेसिन में एक भली प्रकार डिजाइन किया गया संचार नेटवर्क और जल पर दबाव, यदि कोई हो, सहित जलीय परिस्थितियों का अवधारण करने के लिए एक कम्प्यूटर आधारित नियंत्रण कक्ष की स्थापना करेगा। इस प्रयोजन के लिए वह नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकेगा। प्रचालन प्रयोजनों के लिए इस कार्य को प्राधिकरण द्वारा केन्द्रीय जल आयोग या केन्द्रीय या राज्य सरकार के किसी अन्य संगठन को सौंपा जा सकेगा।
      7. सिंचाई मौसम के शुरूआत जो प्रत्येक वर्ष की पहली जून है, से प्राधिकरण में अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से सभी पक्षकार राज्य दस-दस दिन के अंतराल में जून के महीने के लिए प्रत्येक जलाशय स्थल (3 टीएमसी और इससे अधिक की क्षमता) पर उनके द्वारा अपेक्षित आपूर्ति हेतु मांग पत्र करेंगे। प्राधिकरण फसल पैटर्न और सिंचित किए जाने वाले क्षेत्र की मात्रा तथा पहले की भंडारण की उपलब्धता के निर्धारण के पश्चात् और महीने के दौरान संभावित बहाव पर विचार करते हुए महीने के लिए अधिकरण द्वारा निर्धारित सकल ऊपरी सीमा को ध्यान में रखते हुए दिए गए आदेश और माननीय उच्चतम न्यायालय के दिनांक 16 फरवरी, 2018 के आदेश द्वारा संशोधन को ध्यान में रखते हुए मांग पत्रों के औचित्य की जांच करेगा। विनियमन समिति, प्राधिकरण द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार दस दिन के आधार पर जल छोड़ेगी।
      8. विनियमन समिति द्वारा यथा सूचित किसी महीने के दौरान जल उपलब्धता में कमी के कारण प्राधिकरण विनिर्दिष्ट फसलों के लिए तारीख 16 फरवरी, 2018 के माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा उपांतरित आदेश के अनुसार अधिकरण द्वारा प्रत्येक राज्य को आवंटित मात्रा के अनुपात में पक्षकारों की मांग पत्र में कटौती पर विचार करेगा।
      9. विनियमन समिति प्रत्येक दस दिन के अंतराल के दौरान मानसून की वास्तविक स्थिति पर ध्यान रखेगी और इसमें सामान्य से भिन्नता की स्थिति को दर्शाते हुए प्राधिकरण को स्थिति सूचित करेगी। ऐसी सूचना प्राप्त होने पर प्राधिकरण उनके द्वारा जारी निर्मुक्ति आदेश में किसी परिवर्तन पर विचार करेगा। जल वर्ष के अंत जो प्रत्येक वर्ष का 31 मई है, के बाद के महीनों के दौरान मानसून की प्रगति के दौरान इस तरह की व्यवस्था जारी रहेगी।
      10. प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि संबंधित राज्य सरकारों को उपयुक्त विनियमन तंत्र के उपबंध सहित नदी बेसिन में सभी महत्वपूर्ण एनीकट स्थलों पर उचित हाइड्रोलिक संरचनाओं का निर्माण करना चाहिए। इसके अतिरिक्त राज्य के हिस्सों में ऐसी डायवर्जन संरचनाओं में जल निष्कासन की नियमित निगरानी आवश्यक होगी।
      11. प्राधिकरण अंतर्वाह और बहिर्वाह, वर्षापात आंकड़ा, सिंचित क्षेत्र और उपयोग किए गए जल सहित जलाशगयों में आगे ले जाए गए भंडारण के संबंध में आंकड़ा प्रस्तुत करने के लिए पक्षकार राज्यों को निर्देश दे सकता है।
      12. प्राधिकरण कावेरी बेसिन में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग अथवा केन्द्रीय जल आयोग अथबा राज्यों द्वाराअनुरक्षित महत्वपूर्ण रेनगेज केन्द्रों के लिए आंकड़ों के संग्रह को व्यवस्थित करेगा और साथ ही साथ कावेरी विनियमन समिति,जो कि विभिन्न स्थलों पर मापे गए अंतर्वाह सहित विभिन्न मानसून मौसमों के लिए वर्षापात आंकड़ों का उचित रूप से संकलन करेगी, के माध्यम से कावेरी नदी प्रणाली के संबंध में महत्वपूर्ण नोडल बिन्दुओं पर मापे गए अंतर्बवाह आंकड़ों को भी व्यवस्थित करेगा।
      13. प्राधिकरण या उसके कोई सदस्य या कोई प्रतिनिधि को किसी भूमि या सम्पदा जिस पर कावेरी बेसिन में किसी भी एजेंसी द्वारा कोई भी जलीय संरचना या कोई गांजिंग या मापन डिवाइस तैयार की गई है या निर्मित, संचालित या अनुरक्षित की जा रही है, पर प्रवेश करने की शक्ति होगी।
      14. प्राधिकरण के पास सम्पदा को रखने और उसके निपटान, संविदा करने, मुकदमा चलाने का अधिकार होगा और उस पर मुकदमा चलाया जा सकेगा और ऐसे सभी कार्य करेगा जो उसके क्षेत्राधिकार, शक्ति और कार्यों के उपयुक्त निर्वाह के लिए आवश्यक होंगे।
      15. प्राधिकरण अधिकरण के निर्णय के कार्यान्वयन के लिए अतिरिक्त मापक केंद्रों का निर्माण कर सकता है अथवा केंद्रीय सरकार और केन्द्रीय जल आयोग के सहयोग से संबंधित राज्यों को निर्माण करने का निर्देश दे सकता है।
      16. यदि प्राधिकरण यह पाता है कि पक्षकार राज्यों अर्थात तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और पुदुच्चेरी संघ राज्य क्षेत्र की कोई सरकार अधिकरण में निर्णय अथवा दिशा-निर्देश के कार्यान्वयन में सहयोग नहीं देती है तो वह माननीय उच्चतम न्यायालय के तारीख 16 फरवरी, 2018 के आदेश द्वारा यथा संशोधित अधिकरण के पंचाट के कार्यान्वयन हेतु केंद्रीय सरकार का सहयोग ले सकती है।
      17. यदि किसी पक्षकार राज्य की चूक की वजह से जल को छोड़ने में कोई विलम्ब अथवा कमी होती है तो प्राधिकरण उस पक्षकार राज्य की मांग को कम करके तदनुसार उस कमी को दूर करने के लिए उपयुक्त कार्यवाही करेगा।
      18. प्राधिकरण सूक्ष्म सिंचाई (ड्रिप और स्प्रिकलर) को बढ़ावा देकर, फसल पद्धति में, कृषि संबंधी प्रणालियों, प्रणालीगत कमियों में सुधार, कमान क्षेत्र विकास इत्यादि द्वारा जल उपयोग दक्षता में सुधार करने के लिए उपयुक्त उपाय करने हेतु पक्षकार राज्यों को सलाह देगा।
      19. प्राधिकरण पक्षकार राज्यों को जल संरक्षण और परिरक्षण के लिए दक्ष प्रौद्योगिकियों को अपनाने हेतु सलाह देगा।
      20. प्राधिकरण उसकी संरचना, स्थापना और प्रशासन के संबंध में केन्द्रीय सरकार द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों का अनुपालन करेगा।
      21. प्राधिकरण अपनी उन शक्तियों को प्रत्यायोजित कर सकता है जिसे वह कावेरी जल विनियमन समिति के लिए उपयुक्त समझेगा।

      4.0 का.ज.वि.स. के कार्यों का विवरण निम्नानुसार है। :

      समिति, माननीय उच्चतम न्यायालय के तारीख 46 फरवरी, 2018 के आदेशद्वारा प्राधिकरण के यथा उपांतरित अंतिम पंचाट में अंतर्विष्ट उपबंधों का, प्राधिकरण को निर्देश देते हुए, कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगी, अर्थात्:-
      (क) दैनिक जल स्तरों, इनफ्लो तथा निम्नलिखित जलाशयों में प्रत्येक में भंडारण की स्थिति का एकत्रीकरण करना – हेमावती, हरंगी, कृष्णाराजासागर, कबीनी, मेटूर, भवानीसागर, अमरावती तथा बानासूरसागर;

      (ख) जैसा कि प्राधिकरण द्वारा निर्देश दिए गए हैं जलाशयों से मासिक आधार पर जल की दस दैनिक मात्राओं को जारी करना सुनिश्चित करना;

      (ग) उपर्युक्त जलाशयों से बारह घंटे के आधार पर छोड़े गए जल के आंकड़ों को एकत्रित करना

      (घ) प्रत्येक जलाशयों में प्राधिकरण के प्रतिनिधि समिति द्वारा जारी किए गए विनियामक निर्देशों के उपयुक्त कार्यान्वयन को मॉनीटर करेंगे; और यदि कोई परिवर्तन होता है तो प्रतिनिधि उपयुक्त कार्रवाई हेतु तत्काल रूप से समिति के सदस्य-सचिव को सूचित करेंगे;

      (ड.) वर्तमान में पहचान किए गए अंतर्राज्यीय संपर्क बिंदु अर्थात्, बिलीगुन्डुलु गॉज और डिस्चार्ज स्थल के बीच से होकर गुजरने वाले दैनिक जल के प्रवाह का एकत्रीकरण करना तथा प्राधिकरण को उपयुक्त रूप से सूचित रखना;

      (च) प्रत्येक जलाशय के लिए मासिक जल लेखे का एकत्रीकरण करना तथा उसमें सामंजस्य बिठाना;

      (छ) मानसून की स्थिति को वृहद रूप से आकलित करने के लिए तथा मानसून की प्रास्थिति से प्राधिकरण को सूचित कराने हेतु भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महत्वपूर्ण वर्षा गॉज स्टेशनों से संबंधित सूचना का एकत्रीकरण तथा साप्ताहिक आधार पर उसे संकलित करना;

      (ज) राज्य प्रतिनिधि, मुख्य परियोजनाओं के अध्यक्ष, कमानों में होने वाली वर्षा से समिति को नियमित रूप से सूचित करेंगे तथा यह भी पता करेंगे कि छोड़े गए जल की मात्रा में किसी परिवर्तन की आवश्यकता है;

      (i) जल लेखे की मौसमी तथा वार्षिक रिपोर्ट को तैयार करना तथा उसे प्राधिकरण को प्रस्तुत करना, जैसा कि नीचे दर्शाया गया है:-

      (क) दक्षिण-पश्चिम मानसून काल (अक्टूबर के 45 दिनों को शामिल करते हुए) – 04 जून से 5 अक्टूबर;

      (ख) उत्तर पूर्वी मानसून काल – 06 अक्टूबर से 31 जनवरी;

      (ग) गर्म मौसम काल – 04 फरवरी से 31 मई।

      5.0 बैठक

      1 जून, 2018 से (31.12.2023) का.ज. प्र. प्रा. की 27 बैठकें और का.ज.वि.स. की 91 बैठकें हो चुकी हैं।
      इसके अलावा वर्तमान जल वर्ष के दौरान (1 जून, 2023 से 31 मई, 2023) 31.12.2023 तक 8 का.ज. प्र. प्रा. की बैठक और 12 का.ज.वि.स. की बैठक हो चुकी है.

      6.0 विस्तार

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