कृष्णा नदी जल विवाद अधिकरण
केडब्लूडीटी- 1 पंचाट के तहत इस परियोजना के लिए कोई जल आबंटन नहीं है। केडब्लूडीटी -दो पंचाट को अभी अधिसूचित किया जाना है। वर्ष 2016-17 के वर्तमान जल वर्ष के लिए मंत्रालय द्वारा प्रतिपादित कार्य प्रबंधन के विस्तार पर चर्चा करने के लिए जल संसाधन मंत्रालय के विशेष सचिव, आरडी और जीआर द्वारा दिनांक 21.6.2016 और 22.6.2016 को दो बैठकें आयोजित की गयीं जिनमें यह सुझाव दिया गया था कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्य मैत्रीपूर्ण तरीके से समाधान के लिए निम्न मुद्दों चर्चा करने के लिए एक महीने में मिल सकते हैं:-
a. गोदावरी नदी जल के बंटवारे से संबंधित मुद्दे जिन्हें जीडब्लूडीटी पंचाट, 1980 के अनुसार कृष्णा को स्थानांतरित किया जाएगा।
b. केआरएमबी द्वारा सभी विनायमक ढ़ांचे के परिचालन नियंत्रण अथवा क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार वाले संबंधित राज्यों से संबंधित मुद्दे।
2. तथापि, दिनांक 2.8.2016 के पत्र के तहत तेलंगाना सरकार ने जल बंटवारे के लिए कार्य प्रबंधन सुझाने और कृष्णा बेसिन में विनियमों के लिए एक समिति की स्थापना करने का अनुरोध किया है।
3. तदनुसार हीं, इस मंत्रालय ने दिनांक 7 सितम्बर, 2016 के अपने कार्यालय ज्ञापन के अंतर्गत एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया । तदनुसार ही दिनांक 21.9.2016 को हुई शीर्ष परिषद् की प्रथम बैठक के दौरान तेलंगाना सरकार ने सीडब्लूसी के पूर्व सभापति श्री ए.डी. मोहिले और वैज्ञानिक ‘छ’ एनआईएच, रूड़की श्री एम. के. गोयल के नामों को शामिल करने के संबंध में आपत्ति जतायी है । वर्ष 2015-16 और 2016-17 के लिए जल हेतु कार्य व्यवस्था के भाग के रूप में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों द्वारा जिन परियोजनाओं पर सहमति जतायी गयी उस सूची में पलामुरू –रंगारेड्डी एलआईएस परियोजना को शामिल नहीं किया गया है।
माननीय उच्चतम न्यायालय का निर्णय
4. भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने दिनांक 20.07.2016 के अंतिम आदेश में संबंधित राज्य पक्षकारों को सुनने का अवसर प्रदान करते हुए याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए दो परियोजनाओं के निर्माण के संबंध में इन मुद्दों की जांच करने के लिए शीर्ष परिषद् की बैठक बुलाने का निर्देश दिया।
शीर्ष परिषद् की बैठक
5. कृष्णा नदी के विभिन्न बकाया मुद्दों के समाधान के लिए आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों के साथ माननीय केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा जीर्णोद्धार मंत्री के साथ दिनांक 21.09.2016 को प्रथम शीर्ष परिषद् की बैठक हुई। इस बैठक में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने यह रूख अपनाया कि परियोजना-वार आवंटन किये जाने तक पलामुरू रंगारेड्डी एलआईएस सहित दोनों परियोजनाओं को तेलंगाना द्वारा मूल्यांकन हेतु केआरएमबी/सीडब्लूसी को भेजा जा सकता है और दोनों ही राज्य केडब्लूडीटी-दो द्वारा जल के आवंटन के बाद ही उनकी आवश्यकता के अनुसार नई परियोजनाओं का प्रस्ताव कर सकते हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने इसे दुहराया कि दोनों परियोजनाओं के लिए जीओ पूर्व आंध्र प्रदेश राज्य द्वारा जारी किया गया था और तेलंगाना राज्य केडब्लूडीटी –दो द्वारा किए गए आबंटन के भीतर ही इसे सीमित करेगा और इन परियोजनाओं को जारी रखेगा। तब तक दोनों ही राज्य 2016-17 के दौरान भी जल के बंटवारे के लिए कार्य प्रबंधन 2015-16 को जारी रखने पर सहमत हुए। इन दोनों ही राज्यों द्वारा अपनाए गए विपथित रूख के मद्देजनर यह निर्णय लिया गया कि दोनों ही राज्यों द्वारा उठाए गए मुद्दों के समाधान करने के लिए जब कभी भी आवश्यकता होगी शीर्ष परिषद् की बैठक बुलायी जाएगी। तथापि, दिनांक 21.09.2016 को हुई प्रथम शीर्ष परिषद् की बैठक के दौरान तेलंगाना राज्य ने केन्द्रीय जल आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्री ए. डी. मोहिले और वैज्ञानिक –घ’ एनआईएच, रूड़की श्री एम. के. गोयल के नामों को शामिल करने के लिए आपत्ति उठायी है। तदनुसार ही, इस मंत्रालय ने दिनांक 19.12. 2016 और दिनांक 10.01. 2017 के कार्यालय ज्ञापन के तहत पणधाराकों और राज्य सरकारों से परामर्श कर एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। समिति 90 दिनों की अवधि में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा जीर्णोद्धार मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट/ मैनुअल आदि सौंपेगा।
6. तदनुसार ही, इस मंत्रालय ने दिनांक 19.12. 2016 और दिनांक 10.01. 2017 के कार्यालय ज्ञापन के तहत पणधाराकों और राज्य सरकारों से परामर्श कर एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। समिति 90 दिनों की अवधि में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा जीर्णोद्धार मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट/ मैनुअल आदि सौंपेगा।