भारत –बांग्लादेश सहयोग
एक भारत –बांग्लादेश संयुक्त नदी आयोग (जेआरसी) सन् 1972 से ही कार्य कर रहा है। सामान्य नदी प्रणालियों से अधिकतम लाभ पाने में प्रभावी संयुक्त प्रयास को सुनिश्चित करने के लिए संपर्क बनाए रखने के विचार से इसकी स्थापना की गयी थी। जेआरसी की अध्यक्षता दोनों ही देशों के जल संसाधन मंत्रालयों द्वारा की जाती है। दिनों 17-20 मार्च, 2010 के बीच नई दिल्ली में जेआरसी की 37वीं बैठक हुई जिनमें बांग्लादेश के साथ जल संसाधन क्षेत्र में सहयोग के संबंध में विभिन्न मामलों पर चर्चा की गयी।
गंगा जल/ गंगा नदी जल के बंटवारे पर 12 दिसम्बर, 1996 (इसका लिंक नीचे दिया गया है) को भारत और बांग्लादेश के प्रधान मंत्रियों के बीच भारत- बांग्लोदश संबंध में एक नये अध्याय का सूत्रपात हुआ। यह संधि तीस सालों तक प्रभावी होगा और उसके बाद परस्पर सहमति से इसका नवीकरण किया जाएगा। इस संधि के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया गया है।
छह अन्य नदियों यथा मानू, मुहरी, कोवई, गुमती, जलढ़ाका और तोरसा के अलावा तीस्ता और फेनी नदियों के जलों के बंटवारे को लेकर बांग्लादेश के साथ चर्चा चल रही है। भारत सरकार ने अपने प्रयास से बांग्लादेश के साथ तीस्ता और फेनी नदियों के जल बंटवारे के समझौते किए जो संबंधित दोनों ही पक्षों को स्वीकार्य है और जो सभी पणधारकों के हितों की रक्षा करते हैं।
मानसून के मौसम के दौरान भारत से बांग्लादेश की ओर गंगा, तीस्ता, ब्रह्मपुत्र और बराक जैसी प्रमुख नदियों पर बाढ़ पूर्वानुमान आंकड़ों के प्रेषण की एक प्रणाली अवस्थित है। मानूसन के दौरान बाढ़ संबंधी पूर्वानुमान सूचना के प्रेषण ने बांग्लादेश में नागरिक और सैन्य प्राधिकारियों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थलों में ले जाने के लिए समर्थ बनाया है।
मानसून के मौसम के दौरान भारत से बांग्लादेश की ओर गंगा, तीस्ता, ब्रह्मपुत्र और बराक जैसी प्रमुख नदियों पर बाढ़ पूर्वानुमान आंकड़ों के प्रेषण की एक प्रणाली अवस्थित है। मानूसन के दौरान बाढ़ संबंधी पूर्वानुमान सूचना के प्रेषण ने बांग्लादेश में नागरिक और सैन्य प्राधिकारियों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थलों में ले जाने के लिए समर्थ बनाया है।