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    राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना

    प्रकाशित तिथि: दिसम्बर 30, 2022

    मंत्रिमंडल द्वारा 06.04.2016 को विश्व बैंक के सहयोग से केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में जल विज्ञान परियोजना को 3679.7674 करोड़ रुपए [राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना (एनएचपी) के लिए 3640 करोड़ रुपए और राष्ट्रव्यापी जल संसाधन आंकड़ों के संग्रहण के रूप में राष्ट्रीय जल विज्ञान सूचना केंद्र (एनडब्ल्यूआईसी) की स्थापना के लिए 39.7674 करोड़ रुपए] के कुल परिव्यय के साथ अनुमोदित किया गया है।

    परियोजना का उद्देश्य

    जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के अधीनस्थ कार्यालय के रूप में एनडब्ल्यूआईसी को मार्च 2018 में स्थापित किया गया है।

    परियोजना विशेषताएं:

    • राज्यों को 100% अनुदान के साथ केंद्रीय क्षेत्र योजना
    • बजट परिव्यय: लगभग 3,680 करोड़ रुपए, विश्व बैंक की 160 मिलियन अमेरिकी डालर सहायता सहित
    • समयसीमा: वर्ष 2016-17 से 2023-24 तक 8 वर्ष। व्यय विभाग ने एनएचपी को 30 सितंबर, 2025 तक सशर्त विस्तार प्रदान कर दिया है।
    • स्केल: अखिल भारत
    • प्रमुख एजेंसी: जल संसाधन,नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय
    • कार्यान्वयन एजेंसियां: 48 (केंद्र सरकार की 12 और राज्यों की 36 एजेंसियां)
    • विश्व बैंक के साथ ऋण समझौते पर दिनांक 18.8.2017 को हस्ताक्षर किए गए हैं।

    परियोजना संकल्पना

    1. निगरानी नेटवर्क का आधुनिकीकरण:
      यह परियोजना, पूरे देश में सतही जल और भूजल के व्यापक, आधुनिक, स्वचालित, वास्तविक समय निगरानी प्रणाली स्थापित करने के लिए नए सेंसर, आंकड़ों का संग्रहण और टेलीमेट्री प्रौद्योगिकियों को लगाने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही राज्यों की परियोजना में निगरानी नेटवर्क को स्थापित करेगी और उसे सुदृढ़ करेगी।
    2. ज्ञान प्राप्ति में बदलाव लाना: 
      यह परियोजना क्लाउड कंप्यूटिंग, इंटरनेट, मोबाइल उपकरणों, सोशल मीडिया और अन्य संचार उपकरणों में प्रगति पर आधारित होगी ताकि विभिन्न हितधारकों द्वारा कस्टमाइज्ड जल सूचना तक पहुंच और विज़ुअलाइज़ेशन को आधुनिक बनाया जा सके।
    3. विश्लेषणात्मक उपकरणों को बढ़ाना:
      यह परियोजना जल संसाधन मूल्यांकन, हाइड्रोलॉजिक और बाढ़ जल प्लावन पूर्वानुमान, जल अवसंरचना ऑपरेशन, भूजल मॉडलिंग और नदी बेसिन योजना के लिए उपकरणों का विकास और प्रदर्शन करेगी।
    4. संस्थानों का सुदृढ़ीकरण:
      परियोजना लोगों और संस्थागत क्षमता में निवेशों के साथ प्रौद्योगिकी निवेश का पूरक होगी। विशेषज्ञता के केंद्रों को विकसित करने, नवीन शिक्षण दृष्टिकोण, अकादमिक और अनुसंधान संस्थानों के साथ सहयोग और आउटरीच कार्यक्रमों के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। प्रौद्योगिकी निवेश का प्रभावी ढंग से लाभ उठाने के लिए कार्यों को सुव्यवस्थित करने के लिए कार्यालय और उपकरणों का आधुनिकीकरण किया जाएगा।

    परियोजना घटक:

    1. क. जल संसाधन निगरानी प्रणाली:
      यह घटक मुख्य रूप से मौसम विज्ञान, स्ट्रीम फ्लो, भूजल, जल गुणवत्ता और जल भंडारण मापों से संबंधित वास्तविक समय डेटा प्रसारण और जल-सूचना विज्ञान केंद्रों की स्थापना के लिए नए और मौजूदा हाइड्रोमेट मॉनिटरिंग सिस्टम की स्थापना/आधुनिकीकरण का समर्थन करता है। इस घटक को राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा कोर केंद्रीय एजेंसियों के समर्थन से कार्यान्वित किया जाएगा। प्रमुख गतिविधियों में निम्नलिखित शामिल हैं:

      1. वास्तविक समय डेटा अधिग्रहण हाइड्रो मेट नेटवर्क की स्थापना;
      2. जल अवसंरचना के लिए पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (एससीएडीए) प्रणालियों की स्थापना; और
      3. जल गुणवत्ता प्रयोगशालाओं की स्थापना/उन्नयन।
    2. जल संसाधन सूचना प्रणालियाँ- 
      घटक ख डेटाबेस और स्रोतों/विभागों के मानकीकरण के माध्यम से वेब-एनेबल्ड डब्ल्यूआरआईएस के साथ राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय जल सूचना केंद्रों को मजबूत करने का समर्थन करता है और प्रभावी आयोजना, निर्णय लेने और ऑपरेशनों के लिए निर्णय निर्माताओं को व्यापक रूप से समय पर और एकीकृत जल संसाधन जानकारी उपलब्ध कराता है।

      सूचना के स्रोतों में घटक क रिमोट सेंसिंग डेटा के तहत वास्तविक समय डेटा अधिग्रहण नेटवर्क और केंद्र, और घटक ग के तहत विकसित स्थलाकृतिक मानचित्र और नॉलेज प्रोडक्ट शामिल हैं।
      जल की जानकारी की गुणवत्ता और एक्सेस में सुधार करने और विश्लेषणात्मक परिणामों (ट्रेंड, जल संतुलन, आदि) के लिए डेटा से अलग सार्वजनिक एक्सेस का विस्तार करने के साथ-साथ साक्ष्य आधारित परिचालन और निवेश योजनाओं में योगदान करने पर जोर दिया जाएगा। यह परियोजना केंद्रीय, क्षेत्रीय, नदी बेसिन और राज्य /संघ राज्य क्षेत्र के स्तरों पर वेब-आधारित डब्ल्यूआरआईएस के लिए केंद्रों के विकास या सुदृढ़ीकरण का समर्थन करेगी। इस घटक के तहत कुछ प्रमुख गतिविधियां निम्नलिखित हैं:

      1. 1.जल सूचना प्रबंधन प्रणाली (डब्ल्यूआईएमएस) और जल संसाधन सूचना प्रणाली (डब्ल्यूआरआईएस) सहित राष्ट्रीय जल सूचना केंद्र (एनडब्ल्यूआईसी) का सुदृढ़ीकरण।
      2. 2.राज्य जल सूचना केंद्र (एसडब्ल्यूआईसी) के गठन सहित क्षेत्रीय/राज्य जल संसाधन सूचना प्रणाली।।
    3. ग. जल संसाधन परिचालन और आयोजना प्रणाली:-
      यह घटक इंटरैक्टिव विश्लेषणात्मक उपकरणों और निर्णय समर्थन मंच के विकास का समर्थन करता है जो बेसिन दृष्टिकोण के आधार पर सतही जल और भूजल दोनों के बेहतर संचालन, योजना और प्रबंधन हेतु हाइड्रोलॉजिकल बाढ़ पूर्वानुमान, एकीकृत जलाशय संचालन और जल संसाधन लेखांकन के लिए डेटाबेस, मॉडल और परिदृश्य प्रबंधक को एकीकृत करेगा। घटक वैकल्पिक प्रबंधन परिदृश्यों के प्रभावों का विश्लेषण करने और घटक ख के तहत वास्तविक समय डेटा का उपयोग करके ज्ञान उत्पाद उत्पन्न करने के लिए इंटरैक्टिव सिस्टम प्रदान करेगा। घटक ग में तीन उपघटक हैं।-

      1. विश्लेषणात्मक उपकरणों और निर्णय समर्थन मंच (नदी बेसिन माँडलिंग, धारा प्रवाह पूर्वानुमान और जलाशय संचालन प्रणाली, जलप्लावन बाढ़ पूर्वानुमान आदि का विकास)
      2. उद्देश्य संचालित समर्थन और:
      3. अभिनव ज्ञान का संचालन।
    4. संस्थागत क्षमता में वृद्धि-
      घटक घ का उद्देश्य ज्ञान आधारित जल संसाधन प्रबंधन के लिए क्षमता का निर्माण करना है। यह (i) जल संसाधन ज्ञान केंद्रों, (ii) व्यावसायिक विकास, (iii) परियोजना प्रबंधन, और (iv) परिचालन सहायता की स्थापना में उप घटकों का समर्थन करेगा । परियोजना राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ साझेदारी विकसित करेगी; अभ्यास, इंटर्नशिप और विशेषज्ञ कार्यक्रमों का दौरा करने, ज्ञान विनिमय और व्यावसायिक नेटवर्किंग के लिए अनुकूलित प्रशिक्षण और कार्यशालाओं के समुदायों की स्थापना करेंगी। आउटरीच और जागरूकता कार्यक्रम परियोजना का एक अभिन्न अंग हैं और एनएचपी को व्यापक दर्शकों के लिए दोनों अर्थात विशिष्ट लक्षित दर्शकों जैसे सिंचित या बाढ़ प्रवण क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों और बड़े पैमाने पर जनता के लिए प्रदर्शित करेंगे।

    लाभार्थी :

    परियोजना में प्रत्यक्ष लाभार्थियों के दो समूह हैं:

    1. नदी बेसिन संगठनों (आरबीओ) सहित सतही जल और/या भूजल नियोजन और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार केंद्रीय और राज्य कार्यान्वयन एजेंसियां (आईए एवं (आई.ए) तथा
    2. विभिन्न क्षेत्रों और दुनिया भर में डब्ल्यूआरआईएस के उपयोगकर्ता। अंतिम लाभार्थी चयनित कृषि समुदाय होंगे जो जल प्रबंधन के लिए पायलट परियोजनाओं से लाभान्वित हुए हैं; ग्रामीण और शहरी जल और बिजली उपयोगकर्ता; बाढ़ और सूखे से प्रभावित आबादी, विशेष रूप से गरीब ग्रामीण लोग और किसान परिवार जो बेहतर सिंचाई जल आपूर्ति और प्रबंधन से लाभान्वित हो सकते हैं; ऊर्जा, अंतर्देशीय जलमार्ग, पर्यावरण और कृषि मंत्रालयों में हितधारक; अनुसंधान और शैक्षिक संस्थान; छात्रों और शोधकर्ता; और गैर-सरकारी संगठन, सिविल सोसाइटी संगठन और निजी क्षेत्र।