बभाली बांध मुद्दा
- आंध्र प्रदेश ने मई, 2005 को केन्द्र सरकार के संज्ञान में यह बात लायी कि महाराष्ट्र सरकार दिनांक 7.7.1980 के गोदावरी जल विवाद अधिकरण (जीडब्लूडीटी) पंचाट के उल्लंघन में पोचाम्पड परियोजना (श्रीरामसागर परियोजना) के डूब क्षेत्र में बभाली बांध का निर्माण कर रहा है। बभाली बांध नांदेड़ जिला – महाराष्ट्र -आंध्र प्रदेश सीमा से 7.0 किमी उपर में मुख्य गोदावरी नदी पर अवस्थित है। गोदावरी नदी पर पोचम्पड बांध बभाली बांध से नीचे की ओर 81 किमी दूर है। महाराष्ट्र में पोचम्पड भंडारण क्षेत्र 32 किमी के क्षेत्र में है और इसका डूब क्षेत्र इसके अपने क्षेत्र में नदी तट के भीतर है जो स्थिर हालत में है।
- आंध्र प्रदेश ने शिकायत की है कि बभाली बांध के निर्माण से पोचम्पड जलाशय में ताजे पानी को रोककर पानी के स्वाभाविक और सतत प्रवाह में बाधा आएगी और इसके परिणामस्वरूप पोचम्पड परियोजना को तभी पानी मिलेगा जब बभाली बैराज में पानी भरा रहेगा।
- इस संबंध में केन्द्रीय जल आयोग के सदस्य ने दिनांक 11.7.2005 और 5.10.2005 को आन्ध्र प्रदेश और महराष्ट्र राज्यों के अधिकारियों के साथ दो बैठकें की। इसके अलावा, वर्ष 2005 में आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र राज्य के अधिकारियों के बीच एक अन्य बैठक हुई। एक अन्य बैठक दिनांक 4.4.2006 को संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री की हुई जिसमें निम्नलिखित निर्णय लिए गए:
- केन्द्रीय जल आयोग के अध्यक्ष अथवा किसी वरिष्ठ अधिकारी की अध्यक्षता में एक तकनीकी समिति और जिसमें राज्यों के प्रतिनिधि हों, बभाली बांध परियोजना में अंतर्ग्रस्त विभिन्न मुद्दों पर विस्तार पूर्वक चर्चा करेगी। यह तकनीकी समिति यथा शीघ्र किंतु 20 मई, 2006 तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
- इस तकनीकी समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने तक बभाली बांध परियोजना की गतिविधियों के संबंध में यथा स्थिति बनायी रखी जाएगी और आगे का निर्माण कार्य महाराष्ट्र राज्य द्वारा नहीं किया जाएगा।
- उपर्युक्त के मद्देनजर दिनांक 26.4.2006 और 19.5.2006को तकनीकी समिति की सीडब्लूसी में दो बैठकें हुई। तथापि, तकनीकी समिति ने इन बैठकों के दौरान दिए गए सुझावों के संबंध में आन्ध्र प्रदेश सरकार द्वारा विस्तृत प्रस्ताव नहीं दिए जाने के कारण अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी ।
- जुलाई, 2006 में आंध्रप्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय में भारत के संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत आंध्र प्रदेश राज्य बनाम महाराष्ट्र राज्य एंव अन्य नामक एक मूल वाद संख्या 2006 का 1 दायर किया। इस वाद में आंध्र प्रदेश राज्य ने न्यायालय से प्रार्थना किया है कि वे पोचम्प्ड परियोजना के जलाशय विस्तार क्षेत्र में बभाली बांध के निर्माण कार्य करने से महाराष्ट्र सरकार पर स्थायी रोक लगाने की अनुमति प्रदान करें।
- माननीय उच्च्तम न्यायालय ने 26 अप्रैल क, 2007 की अपनी सुनवाई में निम्नलिखित अंतरिम आदेश पारित किया:
- यद्यपि महाराष्ट्र राज्य बभाली बांध के निर्माण कार्य कर सकती है किंतु वह अगले आदेश तक प्रस्तावित 13 द्वारों को नहीं लगाएगा;
- चूंकिमहाराष्ट्र राज्य को अपने जोखिम पर निर्माण कार्य करने की अनुमति दी गयी है किंतु वह अपने द्वारा किए गए निर्माण कार्य के कारण द्वारा किसी ईक्विटी का दावा नहीं करेगा।”
- आंध्र प्रदेश सरकार ने दिनांक 25.06.2009 के पत्र द्वारा सूचित किया कि मीडिया में यह सूचना दी गयी है कि महाराष्ट्र सरकार बभाली बांध में गेट लगाकर पानी रोकने जा रही है। उन्होंने अनुरोध किया कि सीडब्लूसी के अधिकारियों के एक दल को बांध का निरीक्षण कर वास्तविक रिपोर्ट देने के लिए नियुक्त किया जाए। सीडब्लूसी दल ने दिनांक 25.07.2009 को इस बभाली बांध परियोजना स्थल का दौरा किया और दौरे के बाद अपनी रिपेार्ट सौंपी। इस रिपोर्ट को दिनांक 10.8.2009 को आंध्र प्रदेश सरकार को भेज दिया गया है। इस रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि पायर शीर्ष पर गेट बनाना और निर्माण करना प्रगति पर है किंतु गेट को स्थापित नहीं किया गया है और दौरे के समय नदी जल के स्वाभाविक प्रवाह को कोई अवरोध नहीं था।
- माननीय उच्चतम न्यायालय ने 28 फरवरी, 2013 को आंध्र प्रदेश बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य नामक मूल वाद संख्या 2006 के 1 में अपना निर्णय दिया। इस निर्णय के परिचालनात्मक भाग में लिखा है
“…एक तीन सदस्यीय पर्यवेक्षी समिति का गठन किया गया है। समिति में केन्द्रीय जल आयोगसे एक प्रतिनिधि और दो राज्यों आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र से एक-एक प्रतिनिधि होंगे। केन्द्रीय जल आयोग के प्रतिनिधि इस समिति के अध्यक्ष होंगे। समिति अपने कार्यालय के लिए स्थान का चयन करेगी जिसे महाराष्ट्र द्वारा प्रदान किया जाएगा। महाराष्ट्र इस समिति के समस्त खर्च का वहन करेगा। इस पर्यवेक्षी समिति के अधिकार और कार्य निम्नवत् होगें:
- समिति बभाली बांध के परिचालन का निरीक्षण करेगी।
- समिति यह सुनिश्चित करेगी कि:
- महाराष्ट्र दिनांक 6.10.1975 के समझौते के अंतर्गत नई परियोजनाओं के लिए उन्हें दिए एग 60 टीएमसी के जल आबंटन में से 2.74 टीएमसी की बभाली बांध भंडारण क्षमता को बनाए रखता है।
- बभाली बांध का गेट मानसून के दौरान अर्थात 1 जुलाई से 28 अक्टूबर तक के दौरान खुला रहता है और पुचम्पड बांध के लिए दिनांक 6.10.1975 के समझौते के खंड दो (एक) में उल्लिखित तीनों बांधों में मानसून मौसम के दौरान गोदावरी नदी के स्वाभाविक प्रवाह में कोई बाधा नहीं आती है। [इस खंड के अनुसार –‘’गोदावरी पर पैथान बांध स्थल के नीचे गोदावरी बेसिन के क्षेत्रों में जल भाग से पूर्णा पर सिद्धेश्वर बांध स्थल के नीचे तथा मंजरा पर निजाम सागर बांध स्थल के नीचे एवं गोदावरी नदी पर पोचम्पड बांध स्थल तक महाराष्ट्र वर्तमान संस्वीकृत अथवा स्पष्ट उपयोगिता, जैसा भी मामला हो, के अलावा किसी अतिरिक्त इस्तेमाल सहित नई परियोजनाओं के लिए 60 टीएमसी से अनधिक जल का इस्तेमाल कर सकता हैा’’– यह मूल निर्णय का भाग नहीं है। ]
- गैर मानसून मौसम के दौरान अर्थात 29 अक्टूबर से अगले वर्ष जून के अंत तक पानी की जो मात्रा महाराष्ट्र बभाली बांध के लिए इस्तेमाल करता है, वह 2.74 टीएमसी से अधिक नहीं होता है जिसमें से केवल 0.6 टीएमसी पोचम्पड जलाशय और बभाली बांध के सामान्य आप्लावन बनाता है।
- महाराष्ट्र आवधिक रूप से समय-समय पर 2.74 टीएमसी का इस्तेमाल नहीं करता है।
- महाराष्ट्र प्रत्येक वर्ष 1 मार्च को आंध्र प्रदेश को 0.6 टीएमसी जल छोड़ता है।
- महाराष्ट्र बालेगांव बांध की क्षमता को 1.5 टीएमसी तक बनाए रखता है। इसमें से 0.9 टीएमसी को विष्णुपुरी परियोजना ऊपरी धारा के संस्वीकृत उपयोग से समायोजित किया जाता है और 0.6 टीएमसी बभाली बांध इंटरसेप्टेड भंडारण के रूप में बना रहता है।”
- दिनांक 28 फरवरी, 2013 के माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुपालन में एक तीन सदस्यीय पर्यवेक्षण समिति जिसमें सभापति के रूप में केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्लूसी) के सदस्य और सदस्यों के रूप में सिंचाई एवं सीएडी विभाग, आंध्र प्रदेश सरकार के सरकारी परियोजनाओं में मुख्य सचिव एवं महाराष्ट्र सरकार के जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव थे, का गठन दिनांक 24 अक्टूबर, 2013 के कार्यालय ज्ञापन संख्या 18/5/2013 – पेन. रिवर/ 994-1002 के तहत किया गया । बभाली बांध संबंधी पर्यवेक्षी समिति ने दिनांक 27.02.2014, 30.06.2014, 17.10.2017 और 4.02. 2015 को अब तक चार बैठकें की हैं ।
- दिनांक 1 मार्च, 2014 को आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 (2014 की संख्या 6) के अधिनियमन के परिणामस्वरूप इस आन्ध्र प्रदेश राज्य को दो राज्यों में बांट दिया गया है यथा तेलंगाना राज्य और शेष जिलों को आंध्र प्रदेश राज्य के रूप में। बभाली बांध संबंधी पर्यवेक्षी समिति के गठन के लिए उच्चतम न्यायालय को दिनांक 28 फरवरी, 2013 के निर्णय इसके अधिनियमन के बहुत पहले ही आया था, फिर भी उक्त पर्यवेक्षी समिति के लिए आंध्र प्रदेश राज्य की नामिती को तदनुसार ही जोड़े जाने की आवश्यकता है। तदनुसार हीं, आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 (2014 की संख्या 6) के अधिनियमन के परिणामस्वरूप बभाली बांध संबंधी पर्यवेक्षी समिति के लिए नाम निर्देशन के संदर्भ में माननीय उच्चतम न्यायालय के स्पष्टीकरण / निर्देश पाने के लिए एक आवेदन माननीय उच्चतम न्यायालय में दायर किया गया है। इस मामले को अभी माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा उठाया जाना है।